Doctor's advice: नोडल अधिकारी ने नहीं हारी हिम्मत, अनवरत लड़ रहे कोरोना से जंग Gorakhpur News

डा. यादव ने बताया कि वार्ड में दिन में कई बार जाना पड़ता है। किस मरीज को भोजन पानी दवा मिली किसे नहीं मिली इसका ख्याल रखना पड़ता है। केवल वार्ड में ही नहीं पूरे अस्पताल में वायरस लोड ज्यादा है।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Publish:Thu, 27 May 2021 01:47 PM (IST) Updated:Thu, 27 May 2021 06:21 PM (IST)
Doctor's advice: नोडल अधिकारी ने नहीं हारी हिम्मत, अनवरत लड़ रहे कोरोना से जंग Gorakhpur News
नाक, कान, गला रोग विभाग के अध्यक्ष डा. आरएन यादव का फाइल फोटो, जागरण।

गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना से लडऩा डाक्टरों का दायित्व है और नैतिक जिम्मेदारी भी। बाबा राघव दास मेडिकल कालेज के नाक, कान, गला रोग विभाग के अध्यक्ष डा. आरएन यादव पिछले साल से ही दो सौ बेड कोरोना वार्ड की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। उन्हें नोडल अधिकारी बनाया गया है। मरीजों के इलाज, भोजन व डाक्टरों के पीपीई किट आदि अन्य सामग्रियों की व्यवस्था करने के साथ ही वह वार्ड में जाते हैं और मरीजों की हालचाल पूछते हैं। ताकि उन्हें कोई परेशानी न होने पाए। किसी मरीज को कोई दिक्कत होने पर तत्काल उसका समाधान करते हैं।

डा. यादव ने बताया कि वार्ड में दिन में कई बार जाना पड़ता है। किस मरीज को भोजन, पानी, दवा मिली, किसे नहीं मिली, इसका ख्याल रखना पड़ता है। केवल वार्ड में ही नहीं, पूरे अस्पताल में वायरस लोड ज्यादा है। इसलिए पूरी सावधानी बरतनी पड़ती है। बिना पीपीई किट, मास्क व ग्लब्स के वार्ड में जाना खतरे से खाली नहीं है। सारी सतर्कता के बावजूद संक्रमण हम तक पहुंच ही जाता है। खतरा तो है लेकिन इसी के बीच मरीजों की जान भी बचानी है। इसलिए कोरोना से डरकर काम नहीं चल सकता। इस संकट के समय हमारी पहली प्राथमिकता मरीजों का इलाज कर उन्हें स्वस्थ कर घर भेजना है।

92 वर्षीय व्यक्ति ने घर में रहकर कोरोना को हराया

सकारात्मक सोच, हौसला व धैर्य हो तो घर में रहकर भी कोरोना को मात दी जा सकती है। इसे साबित कर दिखाया है गोला के हरपुर निवासी 92 वर्षीय रामधारी ङ्क्षसह ने। वह सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी हैं। पाजिटिव आने के बाद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। परिवार ने पूरा सहयोग किया। डाक्टरों के परामर्श पर दवाएं लेते रहे। इसके साथ ही भाप, गरारा, नींबू-पानी, हल्दी मिश्रित दूध का सेवन करते रहे।

रामधारी ङ्क्षसह ने बताया कि पाजिटिव आने के बाद मैं अलग कमरे में हो गया। मुझे किसी तरह की दिक्कत नहीं हुई। हल्का बुखार था जो दवाओं से ठीक हो गया। हालांकि इस दौरान एहतियात के तौर पर भाप व गरारा करता रहा। परिवार के लोग मनोबल बढ़ाते रहे। डाक्टर ने भी बताया कि आप ठीक हो जाएंगे, सकारात्मक सोच बनाए रखें। 20 दिन बाद जब मैंने जांच कराई तो रिपोर्ट निगेटिव आई।

पत्नी व बेटे के साथ कोरोना को दी मात

गोरखपुर : रेलवे स्टेशन पर कामर्शियल सुपरिटेंडेंट के पद कर कार्यरत धनंजय कुमार ङ्क्षसह के साथ उनकी पत्नी व बड़ा बेटा भी पाजिटिव हो गया था। धनंजय का आक्सीजन लेवल 80 फीसद पर आ गया था। उन्हें बीआरडी में भर्ती कराया गया। शेष दो लोग घर पर आइसोलेट हो गए। हिम्मत व हौसले से उन्होंने कोरोना को मात दे दी। 

धनंजय को अप्रैल के दूसरे हफ्ते मे हल्का बुखार आया। तीसरे दिन स्वाद व गंध भी चली गई। जांच कराई तो उनके साथ ही पत्नी व बड़े बेटे की रिपोर्ट पाजिटिव आ गई। धनंजय शुगर से भी पीडि़त हैं। उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया। उन्होंने अपना हौसला बनाए रखा। 18 दिन बाद अपनी शादी की 23वीं सालगिरह पर कोरोना को मात देकर वह घर लौटे। 

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