10 हजार रुपये के लिए बैंकों का चक्कर लगा रहे हैं पथ विक्रेता, नहीं हो रही सुनवाई
आवेदकों को ऋण देने के लिए नगर निगम और जिला नगरीय विकास अभिकरण (डूडा) के अफसर लगातार बैंकों से संपर्क कर रहे हैं। एक बैंक की सबसे ज्यादा शिकायत आने पर नगर आयुक्त अंजनी कुमार सिंह ने खुद बैंक के अफसरों से बात की।
गोरखपुर, जेएनएन। पटरी व्यवसायियों को 10 हजार रुपये का ऋण देने में बैंक रोड़ा बन रहे हैं। प्रधानमंत्री पथ विक्रेता आत्मनिर्भर निधि योजना के तहत आवेदन करने वालों को बैंकों का चक्कर लगाना पड़ रहा है। यही वजह है कि जुलाई से अब तक सिर्फ 4871 पथ विक्रेताओं के खाते में ही रुपये गए हैं। लाकडाउन में पटरी व्यवसायियों का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ था। इन्हें फिर से व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऋण योजना शुरू की है।
बिना ब्याज एक साल में चुकाएं रकम
10 हजार रुपये ऋण लेने वालों को एक साल में यह रकम वापस करनी है। डिजिटल विधि से रुपये वापस करने वालों को ऋण में छूट भी दी जा रही है।
नगर आयुक्त ने की बात तो बढ़ी फाइल
आवेदकों को ऋण देने के लिए नगर निगम और जिला नगरीय विकास अभिकरण (डूडा) के अफसर लगातार बैंकों से संपर्क कर रहे हैं। एक बैंक की सबसे ज्यादा शिकायत आने पर नगर आयुक्त अंजनी कुमार सिंह ने खुद बैंक के अफसरों से बात की। इसके बाद आवेदकों की फाइल आगे बढ़ी।
फैक्ट फाइल
यह है लक्ष्य - 36453
इतने हुए आवेदन- 20715
इतने ऋण स्वीकृत- 11239
इतने खाते में गए रुपये- 4871
अन्य जिलों की स्थिति
जिला लक्ष्य खाते में गए रुपये
वाराणसी 59925 13213
लखनऊ 140855 7340
प्रयागराज 57136 5912
आगरा 78860 4975
यह कर सकते हैं आवेदन
नाई, मोची, पान के दुकानदार, धोबी, सब्जी व फल बेचने वाले, सड़क किनारे खाद्य पदार्थ बेचने वाले, चाय का ठेला लगाने वाले, ब्रेड, पकौड़े व अंडे बेचनेवाले, घर-घर कपड़ा बेचने वाले, सड़क पर किताब व स्टेशनरी की दुकान लगाने वाले, कारीगर, सिलाई की दुकान चलाने वाली महिलाएं। डूडा के परियोजना अधिकारी विकास सिंह का कहना है कि ऋण देने के लिए लगातार बैंकों से बात की जा रही है। यह योजना हमारी प्राथमिकता में है। आनलाइन आवेदन करने वालों की जांच कर ऋण की स्वीकृति दी जा रही है।