नमो देव्यै : कक्षा आठ पास ज्योति हैं बैंकिंग सखी, जंगल में जलाई स्वावलंबन की 'ज्योति'

तिकोनिया नंबर तीन की ज्‍योति वैसे तो कक्षा आठ तक ही पढ़ीं हैं लेकिन अपने गांव में महिला स्वावलंबन की पहचान बन गई हैं। सीखने की ललक से आगे बढ़ीं ज्‍योति बैंकिंग सखी हैं और गांव की करीब 200 महिलाओं के आय सृजन की सूत्रधार भी।

By Navneet Prakash TripathiEdited By: Publish:Mon, 11 Oct 2021 06:45 AM (IST) Updated:Mon, 11 Oct 2021 06:45 AM (IST)
नमो देव्यै : कक्षा आठ पास ज्योति हैं बैंकिंग सखी, जंगल में जलाई स्वावलंबन की 'ज्योति'
महिलाओंं को बचत के प्रति जागरूक करतीं ज्‍योति (सबसे दाएं)। जागरण

गोरखपुर, दुर्गेश त्रिपाठी। कुसम्ही जंगल के बीच बसे वनटांगिया गांव तिकोनिया नंबर तीन की ज्‍योति वैसे तो कक्षा आठ तक ही पढ़ीं हैं लेकिन कुछ कर गुजरने के जज्‍बे से वह अपने गांव में महिला स्वावलंबन की पहचान बन गई हैं। कम पढ़ाई के बावजूद सीखने की ललक से आगे बढ़ीं ज्‍योति बैंकिंग सखी हैं और गांव की करीब 200 महिलाओं के आय सृजन की सूत्रधार भी।

स्‍वावलंबन के मंत्र का सूत्रधार हैं ज्‍योति

करीब सौ साल तक उपेक्षा का दंश झेलने वाले वनटांगिया गांव तिकोनिया नंबर तीन में 2017 से योगी सरकार की नजरें इनायत हुई तो यहां की महिलाओं को भी अपनी मजबूत आत्मशक्ति का एहसास हुआ। सरकार की योजनाएं तो हर गांव के लिए हैं लेकिन तिकोनिया नंबर तीन की मातृशक्ति ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्वावलंबन के मूलमंत्र को दृढ़तापूर्वक अंगीकार कर लिया है। और, इस स्वावलंबन के मंत्र की सिद्धि की सूत्रधार बनीं ज्‍योति।

कभी चूल्‍हा-चौके तक सीमित रहीं ज्‍योति

कभी सिर्फ घर के चूल्हा-चौका तक सीमित रहीं ज्‍योति अब न केवल खुद आत्मनिर्भर हैं बल्कि करीब दो सौ महिलाओं के आय अर्जन में मददगार भी। वह अपने गांव की बैंकिंग सखी हैं। गांव में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित 18 महिला स्वयंसेवी समूहों में भी उनकी सक्रिय भूमिका है। ज्‍योति की पहल पर समूहों से जुड़ी महिलाएं सब्जी की खेती, पशुपालन और जनरल स्टोर से कमाई कर आत्मनिर्भर बन रही हैं।

हर महिला खुद में एक शक्ति

ज्‍योति कहती हैं कि हर महिला खुद में एक शक्ति है। जरूरत बस उसके भीतर के भाव को जगाने की है। उनकी सोच खुद के स्वावलंबन तक नहीं है इसलिए उन्होंने यह तय किया है इस गांव की एक-एक महिला को आत्मनिर्भर बनाएंगी। ज्योति बताती हैं कि वनटांगिया गांव में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत 18 महिला स्वयंसेवी समूह क्रियाशील हैं। हर समूह से 10-14 महिलाएं जुड़कर आत्मनिर्भर बन रही हैं। इन समूहों के जरिये ही गांव में किराना की तीन दुकानें संचलित हो रही हैं।

सब्‍जी व पशुपाल से भी समूहाें को जोडा

कई अन्य समूहों से जुड़ीं महिलाएं सब्जी की खेती और पशुपालन (गाय, भैंस, बकरी) से जुड़कर आय अर्जित कर रही हैं। समूहों को सरकार की योजनाओं की अद्यतन जानकारी देने के साथ ही 'योति बैंकिंग सखी के रूप में इन समूहों के लेन-देन में मदद करती हैं। हर माह में समूह की महिलाओं की चार बैठक होती है। इसमें वह आपस में अपना काम बढ़ाने को लेकर चर्चा भी करती हैं।

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