बहुत मिलनसर थे समरजीत सिंह, गांव में मातम Gorakhpur News

ग्रामीणों का कहना है कि समर सिंह गांव के शान थे। उन जैसा कोई दूसरा नहीं है। बाढ़ के समय वह गांव के लोगों का हाल-चाल लेना नहीं भूलते थे।

By Satish ShuklaEdited By: Publish:Fri, 05 Jun 2020 08:17 PM (IST) Updated:Fri, 05 Jun 2020 08:17 PM (IST)
बहुत मिलनसर थे समरजीत सिंह, गांव में मातम Gorakhpur News
बहुत मिलनसर थे समरजीत सिंह, गांव में मातम Gorakhpur News

 गोरखपुर, जेएनएन। बड़हलगंज क्षेत्र के पटना गांव के रहने वाले इंस्पेक्टर समरजीत सिंह और उनके ससुर की शुक्रवार सुबह हादसे में मौत होने की खबर मिलते गांव में मातम छा गया। घरवालों को सांत्वना देने पूरा गांव जुट गया। पत्नी और बेटों के साथ समरजीत गाजियाबाद में रहते थे। शुक्रवार की सुबह अपने ससुर और साले को गाजियाबाद से घर छोडऩे के लिए कार से निकले थे।

लाकडाउन में फंसे थे साले और ससुर

पटना गांव के प्रधान हृदयशंकर सिंह ने बताया समरजीत सिंह सहारनपुर जिले में तैनात थे। पत्नी पद्मा सिंह, बेटे शमवेंद्र व मानवेंद्र सिंह के साथ गाजियाबाद में रहते थे। सिवान के जीरादेई में उनकी ससुराल थी। समरजीत के ससुर कमलेंद्र सिंह और साले दीपू सिंह लॉकडाउन की वजह से गाजियाबाद में फंसे थे। सुबह ससुर और साले को घर पहुंचाने के लिए निकले थे। उनके साथ बेटे शमवेंद्र व मानवेंद्र भी थे। दिन में 11 बजे के करीब सैफई में हाईवे पर उनकी कार डिवाइडर से टकराकर पलट गई। हादसे में समरजीत सिंह व उनके ससुर कमलेंद्र सिंह की मौत हो गई। गंभीर रूप से घायल दोनों पुत्र व साले एसजीपीजीआइ लखनऊ में भर्ती हैं।

तीन भाइयों में बड़े थे समरजीत

पटना गांव के रहने वाले समरजीत तीन भाइयों में सबसे बड़े थे। दूसरे नंबर पर अमरजीत सिंह प्राइवेट बैंक में काम करते हैं। छोटे भाई रणजीत सिंह प्रशासनिक अधिकारी हैं। समरजीत के पिता मारकण्डेय सिंह उत्तर प्रदेश पुलिस में सब इंस्पेक्टर थे, जिनकी मौत हो चुकी है। उनकी मौत से गांव के लोग दुखी हैं।

काफी मिलनसार थे समरजीत सिंह

गांव के लोगों का कहना है कि समरजीत सिंह काफी मिलनसार थे। जब भी गांव आते थे तो सभी का हालचाल जरूर लेते थे। वह लोगों के सुख-दुख में शामिल भी रहते थे। जरूरत पड़ने पर वह गांव के लोगों की मदद करते थे। ग्रामीणों का कहना है कि समर सिंह गांव के शान थे। उन जैसा कोई दूसरा नहीं है। बाढ़ के समय वह गांव के लोगों का हाल-चाल लेना नहीं भूलते थे। समरजीत सिंह को गांव के सभी लोगों की चिंता रहती थी। 

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