इंसेफ्लाइटिस से दिव्यांगों के पुनर्वास में मुश्किल

गोरखपुर: बीआरडी मेडिकल कालेज में इंसेफ्लाइटिस के कारण दिव्यांग हुए बच्चों के पुनर्वास में

By JagranEdited By: Publish:Sat, 16 Sep 2017 01:35 AM (IST) Updated:Sat, 16 Sep 2017 01:35 AM (IST)
इंसेफ्लाइटिस से दिव्यांगों के पुनर्वास में मुश्किल
इंसेफ्लाइटिस से दिव्यांगों के पुनर्वास में मुश्किल

गोरखपुर: बीआरडी मेडिकल कालेज में इंसेफ्लाइटिस के कारण दिव्यांग हुए बच्चों के पुनर्वास में मुश्किल होने लगी है। यहां तैनात कर्मचारियों को 28 महीने से मानदेय ही नहीं मिला है। कर्मचारियों ने अफसरों से कई बार निवेदन किया लेकिन सुनवाई नहीं हुई।

मेडिकल कालेज प्रतिनिधि के अनुसार मेडिकल कालेज में इंसेफ्लाइटिस से दिव्यांगों के पुनर्वास के लिए वर्ष 2010 में 14 कर्मचारियों की तैनाती की गई थी। केंद्र सरकार ने तीन साल के लिए इन कर्मचारियों को इस शर्त के साथ तैनात किया था कि बाद में राज्य सरकार स्थाई नियुक्ति के लिए प्रक्रिया शुरू करेगी। इसके लिए बाकायदा केंद्र और राज्य सरकार के बीच एमओयू (मेमोरेंडम आफ अंडरस्टैंडिंग) पर हस्ताक्षर हुए थे। तीन साल पूरे होने के बाद केंद्र सरकार ने दो साल और मानदेय दिया लेकिन अप्रैल 2015 के बाद मानदेय मिलना बंद हो गया। नियमानुसार राज्य सरकार को नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करनी थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इस बीच कर्मचारी लगातार काम करते रहे और कई दिव्याग बच्चों का पुनर्वास भी कराया। कर्मचारियों ने केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को इस संबंध में पत्र भी भेजा है। उनसे पीएमआर (डिपार्टमेंट आफ फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन ) में समायोजित करने की मांग की गई है।

बीआरडी मेडिकल कालेज के प्रमुख अधीक्षक डा. रमाशंकर शुक्ल ने कहा कि अभी वह नए हैं, मामले की जानकारी नहीं है। पता करूंगा कि क्यों मानदेय नहीं मिला।

इनकी है तैनाती

आक्यूपेशनल थेरेपिस्ट अमित कुमार श्रीवास्तव, फिजियोथेरेपिस्ट शिखा गुप्ता, क्लिनिकल साइकोलाजिस्ट श्रीमती अंजनी कुमार, स्पीच थेरेपिस्ट नमिता सिंह, आशुलिपिक रितेश कुमार, फिटर कम कारपेंटर विशाल सिंह, वर्कशाप वर्कर रविंद्र कुमार आदि।

तीन डाक्टर छोड़ चुके हैं नौकरी

मानदेय न मिलने के कारण पुनर्वास केंद्र में तैनात तीन डाक्टर नौकरी छोड़कर जा चुके हैं। डाक्टरों के न रहने के बाद भी कर्मचारी पूरी तन्मयता से मरीजों के पुनर्वास में योगदान दे रहे हैं। यहां अब तक हजारों मरीजों का पुनर्वास किया जा चुका है।

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250 संविदा कर्मियों का मानदेय फंसा

बीआरडी मेडिकल कालेज में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से तैनात 250 संविदा कर्मियों का जुलाई और अगस्त महीने का मानदेय फंस गया है। संविदा कर्मियों के मानदेय की जिम्मेदारी लिपिक संजय त्रिपाठी और उदय शर्मा पर थी। दोनों वर्तमान में जेल में बंद हैं। कालेज के आहरण-वितरण अधिकारी डा. ओएन पांडेय के पास आलमारी की चाबी है लेकिन अभी उन्हें आलमारी खोलने की अनुमति नहीं मिली है। डा. पांडेय ने गुलरिहा के थानेदार और प्राचार्य को पत्र भेजकर आलमारी खोलने की अनुमति मांगी है।

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