जागरण विमर्श : चीन को केंद्र में रख बनानी होगी रणनीति

पुलवामा हमले पर भारत सरकार के साथ पूरा देश है। अब प्रधानमंत्री को इसमें कड़ा फैसला लेना होगा। इसमें कोई जल्दबाजी की जरूरत नहीं है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 26 Feb 2019 10:18 AM (IST) Updated:Tue, 26 Feb 2019 10:18 AM (IST)
जागरण विमर्श : चीन को केंद्र में रख बनानी होगी रणनीति
जागरण विमर्श : चीन को केंद्र में रख बनानी होगी रणनीति

गोरखपुर, जेएनएन। सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकी हमले के बाद पूरे देश में जिस तरह पाकिस्तान विरोधी भावनाएं फिर उफान पर हैं, ऐसा होना स्वाभाविक है। पूरा देश सदमे में है और देश का राजनीतिक समुदाय एक स्वर से पाकिस्तान को सबक सिखाने का संकल्प जाहिर कर रहा है। दरअसल, आज के समय में पाकिस्तान कोई समस्या है ही नहीं, समस्या है चीन। वह पाकिस्तान को हर तरह की मदद दे रहा है। हमारे लिए असली चुनौती वही है। सरकार जो भी रणनीति बनाए, निर्णय ले, उसके केंद्र में चीन ही होना चाहिए।

यह कहना है दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन के आचार्य प्रो. हरिशरण का। वह दैनिक जागरण कार्यालय में आयोजित पाक्षिक विमर्श में अपने विचार रख रहे थे। उन्होंने कहा कि पुलवामा में जो कुछ हुआ, निश्चित ही वह दुखद है पर उससे कहीं बढ़कर हमारे लिए चिंतनीय है। यह तथ्य बिल्कुल सही है कि ऐसे हमले गैर-पारंपरिक हैं और इन पर पूरी तरह काबू कर पाना किसी भी सरकार के लिए नामुमकिन है पर हम सुरक्षा तंत्र मजबूत कर ऐसी वारदातों पर 95 फीसद तक रोक तो लगा ही सकते हैं। उन्होंने अमेरिका का उदाहरण देते हुए कहा कि सितंबर, 2001 की घटना अमेरिका को चेतने-सजग होने के लिए काफी थी। ऐसा नहीं कि वहां अब आतंकी हमले होना नामुमकिन है पर उस एक घटना के बाद अमेरिका ने सुरक्षा तंत्र को इतना मजबूत कर लिया कि आतंकी गतिविधियां होने की संभावना न के बराबर हो गई। जबकि हमारी अस्मिता के प्रतीक संसद में आतंकी घुस आते हैं, बावजूद हम कोई ऐसा तंत्र नहीं तैयार कर पाते जिससे कि ऐसी घटनाओं पर रोक लग सके। मजबूत इंटेलीजेंस और सुरक्षा तंत्र भारत की जरूरत है। सरकारों को इस दिशा में विशेष प्रयास करने चाहिए।

असल चुनौती चीन

प्रो. हरिशरण ने कहा कि पाकिस्तान से निपटने में भारत सक्षम है पर असल चुनौती तो चीन है। चीन-पाक का गठबंधन हमारे लिए चिंता का कारण है, इसलिए रणनीति के केंद्र में वही होना चाहिए। पुलवामा घटना के बाद जनआकांक्षाओं में युद्ध के स्वर उठने का जिक्र करते हुए कहा कि युद्ध से कभी शांति नहीं होती। एक युद्ध किसी नए युद्ध की जमीन तैयार कर जाता है। पुलवामा हमले के बाद जिस तरह विपक्षी नेता भी एकजुटता दिखाते हुए सरकार के साथ खड़े दिख रहे हैं, यह उचित है। हर किसी को अपनी चुनी हुई सरकार पर भरोसा रखना चाहिए कि पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए जो भी कदम जरूरी होंगे, जरूर उठाए जाएंगे।

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