Gorakhpur: खोराबार टाउनशिप में भूखंड खरीदने के लिए अब नहीं देना होगा आय प्रमाण पत्र, इनके लिए होगा अनिवार्य

खोराबार टाउनशिप में ईडब्ल्यूएस व एलआइजी फ्लैट के लिए ही आय प्रमाणपत्र की अनिवार्यता है। ईडब्ल्यूएस के लिए तीन व एलआइजी फ्लैट के लिए छह लाख वार्षिक आय होनी चाहिए। हालांकि एलआइजी श्रेणी के भूखंडों के लिए किसी प्रकार का आय प्रमाणपत्र नहीं लगेगा।

By Jagran NewsEdited By: Publish:Fri, 02 Jun 2023 10:05 AM (IST) Updated:Fri, 02 Jun 2023 10:05 AM (IST)
Gorakhpur: खोराबार टाउनशिप में भूखंड खरीदने के लिए अब नहीं देना होगा आय प्रमाण पत्र, इनके लिए होगा अनिवार्य
भूखंड खरीदने के लिए अब नहीं देना होगा आय प्रमाण पत्र। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। गोरखपुर जिले के खोराबार टाउनशिप एवं मेडिसिटी योजना में आय प्रमाण पत्र की अनिवार्यता केवल ईडब्ल्यूएस एवं एलआइजी फ्लैट के लिए होगी। एलआइजी श्रेणी के भूखंडों के लिए किसी प्रकार का आय प्रमाणपत्र नहीं लगेगा। फ्लैट पर लागू नियम को लोगों ने एलआइजी के लिए भी जरूरी मान लिया था जिसके बाद तहसील में आय प्रमाणपत्र बनवाने के लिए भीड़ जुट रही थी।

पूरी तरह से आनलाइन है पंजीकरण

जीडीए उपाध्यक्ष महेंद्र सिंह तंवर ने इस संबंध में स्पष्ट किया है कि भूखंड के लिए आय प्रमाणपत्र नहीं लगाना होगा। जीडीए की ओर से 26 मई से खोराबार टाउनशिप एवं मेडिसिटी में भूखंडों एवं विभिन्न श्रेणी के फ्लैट का पंजीकरण शुरू किया गया है। पंजीकरण पूरी तरह से आनलाइन है। ईडब्ल्यूएस एवं एलआइजी श्रेणी के फ्लैट के लिए आय प्रमाणपत्र लगाना अनिवार्य है। ईडब्ल्यूएस के लिए तीन लाख रुपये वार्षिक, जबकि एलआइजी के लिए छह लाख वार्षिक तक का आय प्रमाणपत्र बनवाना होगा। भूखंडों को एलआइजी, एमआइजी, एचआइजी श्रेणी में विभक्त किया गया है। एलआइजी श्रेणी के भूखंडों के लिए भी लोग आय प्रमाण पत्र बनवाने को परेशान हो रहे थे।

क्या कहते हैं अधिकारी

जीडीए उपाध्यक्ष महेंद्र सिंह तंवर ने बताया कि आय प्रमाणपत्र की अनिवार्यता केवल ईडब्ल्यूएस एवं एलआइजी फ्लैट के लिए ही है। एलआइजी भूखंड के लिए प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं है। अधिक पंजीकरण धनराशि होने पर भुगतान को लेकर समस्या आ रही थी। लोगों को दूसरे विकल्प भी उपलब्ध कराए जाएंगे।

पंजीकरण के लिए आरटीजीएस से भुगतान का मिलेगा विकल्प

कई आवेदक ऐसे हैं जो एचआइजी श्रेणी के भूखंड के लिए आवेदन कर रहे हैं। उनसे पंजीकरण शुल्क के रूप में आठ लाख या इससे अधिक जमा कराया जा रहा है। लेकिन, नेट बैकिंग में भुगतान की सीमा कम होने से वे भुगतान नहीं कर पा रहे थे। लिमिट बढ़वाने के बाद भी समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा था। यह समस्या जीडीए उपाध्यक्ष के समक्ष आई तो वेबसाइट में ऐसी व्यवस्था करने को कहा गया है, जिससे आरटीजीएस के माध्यम से भी लोग पंजीकरण धनराशि का भुगतान कर सकें।

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