दुग्ध की जांच मे खेल, नियम फेल

दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ के अवशीतन गृह में जांच के नाम पर खेल चल रहा है जिस पर विभाग का कोई नियंत्रण नहीं है। नियमों के जाल में पशुपालकों को फंसा कर उनके भुगतान में कटौती हो रही है। मुख्यालय पर पराग दुग्ध अवशीतन गृह स्थापित है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 13 Feb 2021 06:30 AM (IST) Updated:Sat, 13 Feb 2021 06:30 AM (IST)
दुग्ध की जांच मे खेल, नियम फेल
दुग्ध की जांच मे खेल, नियम फेल

सिद्धार्थनगर : दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ के अवशीतन गृह में जांच के नाम पर खेल चल रहा है, जिस पर विभाग का कोई नियंत्रण नहीं है। नियमों के जाल में पशुपालकों को फंसा कर उनके भुगतान में कटौती हो रही है। मुख्यालय पर पराग दुग्ध अवशीतन गृह स्थापित है। यहां पर फैट (वसा) व एसएनएफ (वसा रहित ठोस) के जांच की व्यवस्था है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि जांच मशीन की बजाय मैनुअल हो रही है। कभी-कभार ही मशीन से काम होता है।

जनपद के पशुपालक पराग दुग्ध संघ को सप्लाई करते हैं। यहां पर जांच करने के लिए डीपीएमसीयू (डाटा प्रोसेसिग मिल्क सेलेब्रेटी यूनिट) लगी है। इसकी खरीद करीब चार वर्ष पहले दो लाख कीमत से हुई थी। इससे दुग्ध में चिकनाई, वसा और वसा रहित ठोस की जांच करने की सुविधा है। यहां सप्लाई करने वाले अधिकांश पशुपालकों ने शासन की ओर से संचालित मिनी कामधेनु व माइक्रो कामधेनु योजना से गौशाला खोली हैं। परसा शाह आलम निवासी पशुपालक ध्रुव नारायण सिंह ने का कहना है कि विभाग मनमानी कर रहा है। शासन की ओर से जारी गाइडलाइन में कहा गया है कि 8.30 एसएनएफ से कम मानक मिलने पर भुगतान में दस फीसद की दर से कटौती की जाएगी। लेकिन यहां पर 20 फीसद कटौती की जा रही है। मानक पर खरा उतरने पर 38 रुपये प्रति लीटर की दर से भुगतान किया जाएगा। जबकि इस समय 22.50 रुपये की दर खरीद हो रही है।

300 लीटर प्रतिदिन होती है सप्लाई

अवशीतन गृह में 36 पशुपालक करीब 300 लीटर प्रतिदिन दुग्ध की सप्लाई करते हैं। इसमें करीब 25 लीटर स्थानीय बाजार में खुदरा बेचा जाता है। करीब इतने ही दुग्ध को फाड़ कर पनीर बनाया जाता है। 250 लीटर दुग्ध को बस्ती भेजा जाता है। पशुपालकों को प्रति सप्ताह भुगतान करने का प्रावधान है।

पशुपालकों से ली जाएगी जानकारी

मुख्य विकास अधिकारी केपी शर्मा ने कहा कि अवशीतन गृह में लगी डीपीएमसीयू से दुग्ध के मानक की जांच होती है। इस मशीन का प्रयोग क्यों नहीं किया जा रहा है, इसकी जांच की जाएगी। पशुपालकों से हो रही कटौती के संबंध में जानकारी ली जाएगी। पशुपालकों की कार्यशाला लगाकर उन्हें जागरूक किया जाएगा। इसके लिए जिले की टीम को निर्देशित किया जाएगा।

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