सदी के सबसे बड़े चंद्रग्रहण की साक्षी होगी गुरुपूर्णिमा
चंद्रग्रहण के लिए गोरखपुर में भी तैयारी हो रही है, यह सदी का सबसे बडा चंद्रग्रहण होगा
गजाधर द्विवेदी, गोरखपुर: गुरु पूर्णिमा के दिन 27 जुलाई को सदी का सबसे बड़ा चंद्रग्रहण लगेगा। इसकी अवधि 3.55 घंटे की होगी। ज्योतिषाचार्यो के अनुसार इतना बड़ा चंद्रग्रहण 104 वर्ष पूर्व हुआ था। पुन: 104 वर्ष बाद ही होने की संभावना है। इस चंद्रग्रहण की अवधि शास्त्रों में वर्णित चंद्रग्रहण की अधिकतम अवधि से भी 10 मिनट ज्यादा है। 12वीं शताब्दी के ज्योतिषाचार्य कल्याण वर्मा के अनुसार चंद्रग्रहण की अधिकतम अवधि तीन घंटा 45 मिनट हो सकती है। पिछली शताब्दी में 1914 में सबसे बड़ा चंद्रग्रहण लगा था जिसकी अवधि तीन घंटा 45 मिनट ही थी। इस ग्रहण का सूतक नौ घंटे पूर्व अर्थात 27 जुलाई को दोपहर 2.54 बजे लग जाएगा।
ज्योतिषाचार्य पं. शरदचंद्र मिश्र, पं. नरेंद्र उपाध्याय, डॉ. जोखन पांडेय शास्त्री व पवन राम त्रिपाठी के अनुसार भारत में जब चंद्रग्रहण शुरू होगा, उसके बहुत पहले चंद्रोदय हो चुका होगा। भारत के सभी नगरों में 27 जुलाई को 6.30 से 7.30 बजे तक चंद्रोदय हो जाएगा। पूरे भारत में इस चंद्रग्रहण का आरंभ, मध्य व मोक्ष देखा जा सकेगा। सुदूर पूर्वी क्षेत्रों- अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, नागालैंड, मिजोरम व त्रिपुरा में इस खग्रास चंद्रग्रहण की चंद्रकांति निर्मल होने के पूर्व ही चंद्र अस्त हो जाएगा। भारत के अतिरिक्त यह ग्रहण संपूर्ण एशिया व यूरोप, आस्ट्रेलिया, अफ्रीका, दक्षिणी अमेरिका, प्रशांत ¨हद एवं अटलांटिक महासागर में अलग-अलग रूपों में दिखाई देगा। भारत, मध्य एशिया तथा मध्य पूर्वी अफ्रीका के देशों में ही इस चंद्रग्रहण के सभी घटनाक्रम दिखाई देंगे।
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चंद्रग्रहण- एक नजर
- स्पर्श प्रारंभ रात्रि 11.54 बजे।
-खग्रास प्रारंभ रात्रि 1.00 बजे।
-ग्रहण मध्य रात्रि 1.52 बजे।
-खग्रास समाप्त रात्रि 2.43 बजे।
-ग्रहण समाप्त रात्रि 3.49 बजे।
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क्या करें, क्या न करें
सूतक व ग्रहण काल में स्नान, दान, जप, मंत्र-स्तोत्र पाठ, मंत्र सिद्धि, तीर्थ स्नान, ध्यान, हवन आदि कल्याणकारी माना जाता है। सूर्यास्त से पूर्व अपनी राशि से संबंधित वस्तुओं का दान किया जाता है। इस दौरान मूर्ति स्पर्श, अनावश्यक खाना-पीना, निद्रा व तैलाभ्यंग वर्जित है। वृद्ध, रोगी, बालक, गर्भवती स्त्रियों को भोजन या दवा लेने में कोई दोष नहीं है।
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ग्रहण के फल
-मास फल- आषाढ़ मास में होने वाले नदियों का प्रवाह न्यून और देश के पश्चिमोत्तर भू-भाग में विप्लव की आशंका।
-वार फल- शुक्रवार को घटित होने से धातुओं के मूल्य में वृद्धि।
-नक्षत्र फल- यह ग्रहण उत्तराषाढ़ एवं श्रवण नक्षत्र में घटित होने से मेहनत करने वाले एवं आध्यात्मिक जनों को पीड़ा प्राप्त होगी।
-योग फल- प्रीति योग में होने से लोगों के आपसी सौहार्द में न्यूनता।
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ग्रहण का राशियों पर प्रभाव
मेष- रोग, शरीर पीड़ा।
वृषभ- संतान संबंधी चिंता।
मिथुन- सुख लाभ।
कर्क- स्त्री या पति को कष्ट।
सिंह- रोग, कष्ट, भय।
कन्या- मानहानि, खर्च।
तुला- कार्य सिद्धि।
वृश्चिक- धन लाभ।
धनु- धन हानि, यात्रा।
मकर- शरीर कष्ट, चोट-चपेट।
कुंभ- धन हानि।
मीन- धन लाभ, उन्नति।