Lockdown 4: सबसे अधिक प्रवासी बुलाने वाला देश का पहला जिला बना गोरखपुर Gorakhpur News

अभी तक 242 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से 2 लाख 57 हजार प्रवासियों को बुलाने वाला गोरखपुर देश का पहला जिला बन गया है। पूर्वोत्‍तर रेलवे के अधिकारी इस उपलि‍ब्धि से काफी खुश हैं।

By Satish ShuklaEdited By: Publish:Fri, 29 May 2020 12:18 PM (IST) Updated:Fri, 29 May 2020 03:04 PM (IST)
Lockdown 4: सबसे अधिक प्रवासी बुलाने वाला देश का पहला जिला बना गोरखपुर Gorakhpur News
Lockdown 4: सबसे अधिक प्रवासी बुलाने वाला देश का पहला जिला बना गोरखपुर Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। अपनी अदम्य इच्छा शक्ति के बलबूते गोरखपुर ने देश में सर्वाधिक श्रमिक ट्रेनें और प्रवासियों को बुलाने का रिकार्ड बनाया है। अभी तक 242 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से 2 लाख 57 हजार प्रवासियों को बुलाने वाला यह देश का पहला जिला बन गया है। अभी भी दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासियों के आने का क्रम लगातार जारी है।

गुरुवार को भी ट्रेनों से उतरे 11337 प्रवासी

गुरुवार को भी 16 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से 11337 प्रवासी गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर उतरे। श्रमिक ट्रेनों के लिए प्लेटफार्म नंबर एक, दो और नौ खोल दिए गए हैं। थर्मल स्कैनिंग के बाद प्रवासियों को रोडवेज की बसों से सुरक्षित घर भेजा जा रहा है। प्रवासियों के सहयोग में रेलवे, आरपीएफ, जीआरपी, जिला प्रशासन, परिवहन निगम, परिवहन विभाग, स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग के अधिकारी और कर्मी सभी प्लेटफार्मों पर मुस्तैद हैं। रेलवे स्टेशन परिसर में रोडवेज की औसत 300 बसें 24 घंटे खड़ी रहती हैं। रेलवे प्रशासन के अनुसार छह श्रमिक ट्रेनों के पहुंचने की सूचना है। जिसमें वापी से दो तथा तिरुवल्लूर, चंडीगढ़, सूरत और श्रीमाता वैष्णवदेवी कटरा से एक-एक ट्रेनें आएंगी।

गोरखपुर से एक जून से चलेंगी ट्रेनें 

एक जून से स्पेशल ट्रेनें चलने लगेंगी। गोरखपुर से गोरखधाम सहित पांच ट्रेनों को हरी झंडी मिल चुकी हैं। पहले दिन ही तीन ट्रेनें रवाना होंगी। लेकिन श्रमिक ट्रेनों की भीड़ में स्पेशल ट्रेनों को सुरक्षित और समय से चलाना रेलवे के सामने चुनौती बनी हुई है।

रेलवे स्टेशन पर जाने से कतरा रहे लोग

मुंबई से गोरखपुर आने वाली श्रमिक ट्रेनों को ५० से ६० घंटे लग जा रहे।  दिल्ली से गोरखपुर का सफर २४ घंटे में पूरा हो रहा। स्टेशनों पर भी ट्रेनों के आने का क्रम टूट नहीं रहा। गोरखपुर में ही रोजाना १२ से १५ ट्रेनें आ रही हैं। प्लेटफार्म २४ घंटे प्रवासियों से भरे रहते हैं। उन्हें संभालने के लिए रेलकर्मियों और सुरक्षाकर्मियों की फौज लगी है। आम लोग स्टेशनों पर जाने से कतराते हैं। ऐसे में स्पेशल ट्रेनेें कैसे समय से गंतव्य पर पहुंचेंगी। रास्ते में उन्हें कैसे सिग्नल मिलता जाएगा। सामान्य यात्रियों को प्लेटफार्म तक कैसे सुरक्षित पहुंचाएंगे। स्वास्थ्य परीक्षण और शारीरिक दूर का पालन कैसे होगा। आम यात्री भी इसको लेकर सहमे हुए हैं, कि उनका सफर कैसे पूरा होगा। यह सारे सवाल रेलवे के सामने मुंह बाए खड़े हैं। इसको लेकर पिछले कई दिनों से संबंधित अधिकारियों के बीच मंथन चल रहा है। हालांकि, अभी तक कोई निष्कर्ष नहीं निकल सका है लेकिन लगभग प्लान तैयार कर लिया गया है। 

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