Deepawali festival: चायनीज उत्‍पाद गायब, स्वदेशी झालरों के कब्जे में दीपावली का बाजार Gorakhpur News

बाजार में इस बार चीन का नया माल नहीं दिख रहा है। इसकी जगह देसी झालरों की भरमार है। दो-तीन दशक पहले बिकने वाली देसी झालरें इस बार बाजार में नए रूप में आई हैं। खरीदार भी स्‍वदेसी सामान खरीद रहे हैं।

By Satish ShuklaEdited By: Publish:Thu, 12 Nov 2020 01:27 PM (IST) Updated:Thu, 12 Nov 2020 01:27 PM (IST)
Deepawali festival: चायनीज उत्‍पाद गायब, स्वदेशी झालरों के कब्जे में दीपावली का बाजार Gorakhpur News
दीपावली के लिए बाजार में स्‍वदेसी उत्‍पााद ।

गोरखपुर, जेएनएन। दीपावली के बाजार पर इस बार चीन नहीं, बल्कि स्वदेशी झालरों का कब्जा है। तीन दशक पहले बिकने वाली देसी झालरें एवं दीपावली के अन्‍य सामान फिर से नये अंदाज में दिखने लगी हैं। ग्राहकों को लुभाने के लिए तमाम किस्म की रंगीन लाइटें मंगाई गई हैं। शाम होते ही दुकानों पर जगमग करती झालरें न सिर्फ ग्राहकों को लुभा रही हैं, बल्कि ग्राहकों तक आत्मनिर्भर भारत का पैगाम भी पहुंचा रही हैं।

दीवाली पर घर और प्रतिष्ठानों को सजाने की चाहत हर किसी की होती है। इस बार शहर के कोतवाली रोड, मियां बाजार, असुरन, सिनेमा रोड, रुस्तमपुर, पादरी बाजार, अलीनगर, गोरखनाथ आदि बाजारों में ग्राहकों को लुभाने के लिए तमाम किस्म की रंगीन लाइटें मौजूद हैं। क्रिस्टल मल्टी कलर की झालरें तो ग्राहकों की खास पसंद बन रही हैं। झालरों के अलावा रंगीन बल्ब की भी मांग है। डिस्प्ले बोर्ड भी बाजार में खास लाइटों में बिक्री को सजाए गए हैं।

नहीं दिख रहा चीन का नया माल

बाजार में इस बार चीन का नया माल नहीं दिख रहा है। इसकी जगह देसी झालरों की भरमार है। दो-तीन दशक पहले बिकने वाली देसी झालरें इस बार बाजार में नए रूप में आई हैं।

एलईडी उत्पाद पर जोर

जगमग करती रंग-बिरंगी झालर हर किसी को आकॢषत कर रही हैं। इनकी बढ़ती मांग को देखते हुए शहर के बाजार एक से बढ़कर एक झालरों से पटे पड़े हैं। रेती चौक, माया बाजार के अलावा शहर के कई अन्य बाजारों में भी इसकी खूब मांग है। इस बार बाजार में एलईडी उत्पादों का जोर है। इसके साथ ही दीपावली पर घर को सजाने के काम में आने वाली पारंपरिक चीजों को भी नया लुक देने की कोशिश की गई है।

पटाखे वाली झालर भी मौजूद

बाजार में पटाखे वाली झालर भी मौजूद है। ये लोगों को काफी पसंद आ रही है। इस झालर में लाइट भी जलती है, पटाखे भी फूटते हैं। इसकी कीमत 1500 से 2000 रुपये तक है। इस बार नवरत्न झालर हर किसी को आकॢषत कर रही है। ये झालरें कई रंगों में रोशनी बिखेर रही हैं। लंबाई के हिसाब से झालरों का अलग-अलग मूल्य है। बाजार में इस बार लाइटिंग घंटा नया आइटम है। करीब दो फीट की उंचाई वाला यह घंटा घर के बाहर या गैलरी में लगाने के लिए है। मुख्य द्वार के पास लगाने पर घर की रौनक बढ़ जाएगी। इसमें एलईडी बल्ब लगे हुए हैं। यह फूलों के गु'छे की तरह है। बाजार में इसकी कीमत 550 रुपये है।

टिकाऊ व मजबूत हैं झालरें

व्यापारियों ने बताया कि चीन के झालरों की तुलना में देसी झालर अधिक टिकाऊ व मजबूत है। इनकी सुंदरता भी आकर्षक है। देशी झालर चार से पांच वेरायटी में आ रहे हैं। कुछ की कीमत 45 रुपये से शुरू होकर 100 रुपये तक है। इनकी लंबाई 20 से 25 फीट है, वहीं चीन की झालर पांच से सात फीट ही लंबी होती थी।

एक नजर रोशनी के सामान पर

कैप झालर- 50 बल्ब- 90 रुपये।

आरजीबी आठ एमएम- 50 बल्ब- सौ रुपये।

प्लेन कलर झालर- 50 बल्ब- 85 रुपये।

फिक्सल पट्टा- 550 रुपये।

प्लेन कलर बल्ब- प्रति पीस 15 रुपये।

सूरज फैक्सी- 12 पट्टी- 550 रुपये।

बल्ब वाला दीपक स्डैंट- 90 रुपये।

दीपक बल्ब झालर- 65 रुपये।

क्‍या कहते हैं व्यापारी

दुकानदार राजीव रस्‍तोगी का कहना है कि इस बार देसी उत्पाद ही बाजार में छाए हुए हैं। वेराइटी भी खूब है। लोग दुकानों पर आ भी रहे हैं। इस बार चाइना का माल नहीं मंगाया गया है। वहीं देव कुमार का कहना है कि बाजार अभी सुस्त है। चीन की बजाय देसी झालरों को बेचने पर फोकस है। यह नए अंदाज में उपलब्ध हैं। इस बार बहुत अ'छे कारोबार की उम्मीद है। 

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