चुनाव डयूटी में कोरोना से मृत कर्मचारियों के स्वजन को एक करोड़ मुआवजा देने की मांग Gorakhpur News
राज्यकर्मचारियों ने बैठक करते हुए सरकार से पंचायत चुनाव के दौरान मतदान एवं मतगणना में ड्यूटी करने वाले ऐसे कर्मचारी जिनका बाद में निधन हो गया उन्हें एक करोड़ रुपये का मुआवजा देने सहित पांच मांगें की हैं।
गोरखपुर, जेएनएन। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के पदाधिकारियों ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक करते हुए सरकार से पंचायत चुनाव के दौरान मतदान एवं मतगणना में ड्यूटी करने वाले ऐसे कर्मचारी जिनका बाद में निधन हो गया, उन्हें एक करोड़ रुपये का मुआवजा देने सहित पांच मांगें की हैं। जिलाध्यक्ष रूपेश कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि मांगें न मानने पर शिक्षक व कर्मचारी मिलकर सरकार के खिलाफ बड़ा आंदोलन करेंगे।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए रूपेश ने कहा कि सरकार ने कर्मचारियों को सपने दिखाकर उन्हें मिलने वाले कई भत्तों को बंद कर दिया है। कर्मचारी नेता मदन मुरारी शुक्ला ने कहा कि अब कर्मचारियों के सब्र का बांध टूट रहा है। संचालन करते हुए मंत्री अश्विनी कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि कर्मचारियों के हित में सरकार को मांगें माननी होंगी। बैठक में ई. बृजेश दिवेदी, अनिल किशोर पांडेय, मदन मुरारी शुक्ल, तारकेश्वर शाही, अरुण दिवेदी, वरुण वैरागी, नुजरत हुसैन, अनूप कुमार श्रीवास्तव, इजहार, श्रीनाथ गुप्ता, कृष्ण मोहन गुप्ता, अशोक पाठक, जयप्रकाश गुप्ता, भारतेन्दु यादव, विजय शर्मा, अनिल यादव, फुलई पासवान, योंगेंद्र चौबे, प्रभुनाथ, ओमकारनाथ राय, अजय सोनकर, प्रभुदयाल सिन्हा, सत्यप्रकाश श्रीवास्तव, राममिलन पासवान, शैलू यादव, वीर सिंह, रामू राणा, रणजीत, धर्मेंद्र, बलजीत यादव, उमेश, हरीशचंद, फूलचंद मौर्या, रामधनी पासवान आदि शामिल रहे।
यह हैं कर्मचारियों की मांगें
मतदान व मतगणना ड्यूटी में मृत हुए कर्मचारी को एक करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाए। परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाए।
करीब डेढ़ वर्ष कर्मचारियों का महंगाई भत्ता रोका गया है। कर्मचारियों का उसी समय से जोड़कर महंगाई भत्ता का भुगतान शीघ्र कराया जाए।
सभी विभागों के रिक्त पदों पर नियमित भर्ती शीघ्र की जाए, जिससे बेरोजगारी दूर हो सके।
कर्मचारियों के निलंबित सभी भत्तों को दोबारा बहाल किया जाए तथा सभी प्रकार के वेतन विसंगतियों को दूर किया जाए।
दीनदयाल कैशलेस चिकित्सा योजना को तत्काल प्रभाव से लागू कराया जाए, जिससे कर्मचारियों को उनके स्वजन की चिकित्सा व्यवस्था सुनिश्चित हो सके।