देवरिया में तैनात सहायक अध्‍यापक पर जालसाजी का केस Gorakhpur News

कोर्ट ने सहेंद्र के बीएससी भाग दो के अंकपत्र व डिग्री का सत्‍यापन करने के आदेश दिए थे। जिसके क्रम में सहेंद्र ने स्‍वामी देवानंद डिग्री कालेज मठलार देवरिया से वर्ष 1982 में बीएससी भाग दो उत्‍तीर्ण होने का अंकपत्र व डिग्री पेश किया।

By Satish chand shuklaEdited By: Publish:Sat, 09 Jan 2021 11:30 AM (IST) Updated:Sat, 09 Jan 2021 11:30 AM (IST)
देवरिया में तैनात सहायक अध्‍यापक पर जालसाजी का केस Gorakhpur News
फर्जी अंक पत्र के संबंध में प्रतीकात्‍मक फाइल फोटो।

गोरखपुर, जेएनएन। दीन दयाल उपाध्‍याय गोरखपुर विश्‍वविधायल के परीक्षा नियंत्रक ने देवरिया में तैनात सहायक अध्‍यापक के खिलाफ कैंट थाने में साजिश के तहत कूटरचित दस्‍तावेज तैयार कर जालसाजी करने का केस दर्ज कराया है। सहायक अध्‍यापक के  बीएससी का अंकपत्र व डिग्री फर्जी है। जांच में पुष्टि होने पर परीक्षा नियंत्रक ने तहरीर दी। कैंट पुलिस मामले की छानबीन कर रही है।

विश्‍वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक की तहरीर पर हुई कार्रवाई

दीन दयाल उपाध्‍याय गोरखपुर विश्‍वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डा. अमरेंद्र प्रताप सिंह की तरफ से कैंट पुलिस को दी गई तहरीर में लिखा है कि देवरिया जिले के रामपुर बुजुर्ग गांव निवासी सहेंद्र प्रताप सिंह भगवान परशुराम इंटर कालेज, सोहनाग देवरिया में सहायक अध्‍यापक है। कोर्ट ने सहेंद्र के बीएससी भाग दो के अंकपत्र व डिग्री का सत्‍यापन करने के आदेश दिए थे। जिसके क्रम में सहेंद्र ने स्‍वामी देवानंद डिग्री कालेज मठलार, देवरिया से वर्ष 1982 में बीएससी भाग दो उत्‍तीर्ण होने का अंकपत्र व डिग्री पेश किया।

अंक पत्र और डिग्री दोनो फर्जी

विश्‍वविद्याल व डिग्री कालेज के रिकार्ड की जांच करने पर पता चला कि अंकपत्र व डिग्री फर्जी है। डिग्री कालेज के तत्‍कालीन प्राचार्य व लिपिक ने भी अंकपत्र पर अपना हस्‍ताक्षर होने से इन्‍कार कर दिया। प्रभारी निरीक्षक कैंट अनिल उपाध्‍याय ने बताया कि सहायक अध्‍यापक सहेंद्र व अज्ञात व्‍यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच की जा रही है। साक्ष्‍य के आधार पर कार्रवाई होगी।

फर्जी दस्तावेज से नौकरी लेने के आरोपित की जमानत अर्जी खारिज

फर्जी दस्तावेज एवं अंक पत्र के आधार पर नौकरी  के आरोप में जिला एवं सत्र न्यायाधीश दुर्ग नारायण सिंह ने देवरिया जिले के भाटपाररानी थाना क्षेत्र के ग्राम कुईचवर निवासी आरोपित बृजकिशोर यादव उर्फ भोला की जमानत अर्जी खारिज कर दी। अभियोजन पक्ष की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता यशपाल सिंह और सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता धर्मेंद्र मिश्र  का कहना था कि एसटीएफ लखनऊ ने विभिन्न जनपदों में फर्जी दस्तावेज एवं अंक पत्र के आधार पर प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में नियुक्त अध्यापकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए स्थानीय इकाई को निर्देश दिए थे। एसटीएफ  को सूचना मिली कि फर्जी दस्तावेज एवं अंक पत्र के आधार पर अध्यापक की नौकरी पाने के बाद बर्खास्त आरोपित बृजकिशोर यादव उर्फ भोला गोरखपुर आ रहा है। पुलिस ने उसे कार्मल स्कूल वाली रोड से गिरफ्तार किया। पूछताछ में उसने बताया कि उसके गांव के राकेश सिंह व अश्वनी श्रीवास्तव का एक संगठित गिरोह है। वह लोग अपने ही कम्प्य़ूटर और लैपटाप से विभिन्न स्कूलों एवं यूनिवॢसटी के फर्जी दस्तावेज एवं अंक पत्र तैयार कर लोगों की नौकरी लगवाते हैं। उसने भी उन लोगों को पांच लाख रुपये देकर अपना फर्जी दस्तावेज एवं अंक पत्र तैयार करवाया था और पूर्व माध्यमिक विद्यालय गांव बघाड़ी, ब्लाक डुमरियागंज जिला सिद्धार्थनगर में नियुक्ति कराई थी।

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