गांव एक रास्ते अनेक, नाम पड़ा पथवलिया गांव

गोंडा : शहर से सटा पथवलिया गांव भी अनोखा है। बुजुर्गों की मानें तो मुख्य गांव में प्रवेश के ि

By JagranEdited By: Publish:Fri, 14 Sep 2018 09:42 PM (IST) Updated:Fri, 14 Sep 2018 09:42 PM (IST)
गांव एक रास्ते अनेक, नाम पड़ा पथवलिया गांव
गांव एक रास्ते अनेक, नाम पड़ा पथवलिया गांव

गोंडा : शहर से सटा पथवलिया गांव भी अनोखा है। बुजुर्गों की मानें तो मुख्य गांव में प्रवेश के लिए चारों तरफ से रास्ते थे। गांव एक, रास्ते अनेक, इसलिए गांव का नाम पथवलिया पड़ गया। वैसे तो अतीत से जुड़ी कोई ठोस यादें भले ही नहीं हैं, लेकिन पीएसी लाइन के साथ ही कचहरी रेलवे स्टेशन गांव की उपलब्धियों को बयां कर रहा है।

इन पर है नाज

-गांव में कोई अमर शहीद या बड़ा अफसर तो नहीं है, लेकिन यहां के लोग सरकारी सेवाओं में लगातार अपनी कामयाबी के परचम लहरा रहे हैं। शिक्षा के साथ ही पुलिस की भर्तियों में कई नौजवानों ने कामयाबी पाई है। यहीं के हनुमंतलाल तिवारी लखीमपुर खीरी में सब इंस्पेक्टर हैं। जबकि जगदंबा यादव सब इंस्पेक्टर पद सेवानिवृत्त हो चुके हैं। वहीं चंद्रधर शुक्ल बैंक मैनेजर रह चुके हैं।

आजीविका के साधन-

यहां के लोगी रोजी रोटी के लिए मजदूरी के साथ ही खेती-बाड़ी करते हैं। कुछ लोग सरकारी तो कुछ प्राइवेट नौकरी कर रहे हैं।

आधारभूत ढांचा-

गांव में 9 मजरे हैं। जिसमें कुसहवा कांदर, बड़की निबिहा, छोटकी निबिहा, डिहवा, डिप्टी कोठी, पोर्टरगंजगांव, नई बस्ती, पीएसी लाइन, कृष्णानगर शामिल हैं। आबादी 6500, जबकि मतदाता 3700 हैं। दो प्राइमरी व एक जूनियर हाईस्कूल है। गांव से थाने की दूरी सात किलोमीटर है। हैंडपंप के जरिए लोग पानी पीते हैं, गांव में पांच तालाब भी हैं।

यह हो तो बने बात

- कुसहवा कांदर गांव रेलवे स्टेशन के उस पार है। इस गांव को जाने के लिए कोई मुख्य मार्ग तक नहीं है। इसके अलावा जलनिकासी की कोई व्यवस्था नहीं है। शुद्ध पानी के लिए पाइप लाइन परियोजना की जरूरत है। सफाई व्यवस्था चौपट है। रोजगार के लिए न तो बड़ा उद्योग है और न कोई अन्य व्यवस्था।

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