पहली बार चुनावी रण से देवीपाटन मंडल में बाहर रहेगा 'हाथ का पंजा, क्‍यों पर्दे के पीछे चुनावी जंग लड़ रही कांग्रेस?

आजादी के बाद यह पहला मौका है जब लोकसभा चुनाव में देवीपाटन मंडल की किसी भी सीट पर हाथ का पंजा नहीं दिखेगा। इंडिया गठबंधन के तहत मंडल की चारों सीटें सपा के खाते में गई हैं। पार्टी ने कैसरगंज लोकसभा सीट को छोड़कर अन्य तीनों सीटों पर उम्मीदवार भी उतार दिए हैं। कांग्रेस का हाथ इस बार सपा की साइकिल के साथ है।

By Varun Yadav Edited By: Vinay Saxena Publish:Wed, 24 Apr 2024 02:23 PM (IST) Updated:Wed, 24 Apr 2024 02:23 PM (IST)
पहली बार चुनावी रण से देवीपाटन मंडल में बाहर रहेगा 'हाथ का पंजा, क्‍यों पर्दे के पीछे चुनावी जंग लड़ रही कांग्रेस?
कांग्रेस का हाथ इस बार सपा की साइकिल के साथ है।

रमन मिश्र, जागरण गोंडा। इत्तेफाक कहें या खुदकिस्मती। कमजोर संगठन व संसाधनों से जूझ रही कांग्रेस इस बार चुनावी रण से बाहर है। आजादी के बाद यह पहला मौका है जब लोकसभा चुनाव में देवीपाटन मंडल की किसी भी सीट पर हाथ का पंजा नहीं दिखेगा। इंडिया गठबंधन के तहत मंडल की चारों सीटें सपा के खाते में गई हैं। पार्टी ने कैसरगंज लोकसभा सीट को छोड़कर अन्य तीनों सीटों पर उम्मीदवार भी उतार दिए हैं। कांग्रेस का हाथ इस बार सपा की साइकिल के साथ है।

2009 में लौटा था कांग्रेस युग

वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का युग फिर लौटा था। पार्टी ने देवीपाटन मंडल की तीन सीटें जीती थीं। गोंडा लोकसभा सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा, बहराइच सुरक्षित सीट से कमांडो कमल किशोर व श्रावस्ती से विनय कुमार पांडेय सांसद चुने गए थे। कैसरगंज सीट से सपा प्रत्याशी के रूप में बृजभूषण शरण सिंह ने जीत दर्ज की थी। पार्टी के एक पदाधिकारी का कहना है कि गठबंधन ने इस बार इज्जत बचा ली। कमजोर संगठन व संसाधन के अभाव में चुनाव लड़ना तो दूर जमानत बचाना भी मुश्किल हो जाता।

बलरामपुर (अब श्रावस्ती) से कब कौन चुना गया सांसद

बलरामपुर लोकसभा सीट (अब श्रावस्ती) 1957 में अस्तित्व में आई थी। पहली बार 1957 में भारतीय जनसंघ से पं. अटल बिहारी वाजपेयी सांसद चुने गए। 1962 में कांग्रेस से सुभद्रा जोशी सांसद चुनी गईं। 1967 में भारतीय जनसंघ से अटल बिहारी वाजपेयी, 1971 में कांग्रेस से चंद्रभाल मणि तिवारी, 1977 में जनता पार्टी से नानाजी देशमुख, 1980 में कांग्रेस से चंद्रभाल मणि त्रिपाठी, 1984 में कांग्रेस से महंत दीप नारायण वन, 1989 में स्वतंत्र पार्टी से फसी-उर-रहमान मुन्नन खां, 1991 व 1996 में भाजपा से सत्यदेव सिंह, 1998 व 1999 में सपा से रिजवान जहीर व 2004 में भाजपा से बृजभूषण शरध सिंह सांसद चुने गए।

2009 में परिसीमन के बाद यह सीट श्रावस्ती लोकसभा के नाम से हो गई। इस चुनाव में कांग्रेस से विनय कुमार पांडेय चुने सांसद गए। 2014 में भाजपा से दद्दन मिश्र व 2019 में बसपा से राम शिरोमणि वर्मा सांसद चुने गए।

गोंडा लोकसभा सीट से कब कौन चुना गया सांसद

1952 में कांग्रेस से चौधरी हैदर हुसैन, 1957 में दिनेश प्रताप सिंह, 1962 में राम रतन गुप्ता, 1964 में स्वतंत्र पार्टी से नारायण दांडेकर, 1967 में कांग्रेस से सुचेता कृपलानी, 1971 में आनंद सिंह, 1977 में जनता पार्टी से सत्यदेव सिंह, 1980, 1984 व 1989 में कांग्रेस से आनंद सिंह, 1991 में भाजपा से बृजभूषण शरण सिंह,1996 में भाजपा से केतकी देवी सिंह, 1998 में सपा से कीर्तिवर्धन सिंह, 1999 में भाजपा से बृजभूषण शरण सिंह, 2004 में सपा से कीर्तिवर्धन सिंह, 2009 में कांग्रेस से बेनी प्रसाद वर्मा, 2014 व 2019 में भाजपा से कीर्तिवर्धन सिंह सांसद चुने गए।

कैसरगंज लोकसभा सीट से कब कौन चुना गया सांसद

1952 के लोकसभा चुनाव में हिंदू महासभा से शकुंतला नायर, 1957 में कांग्रेस से भगवानदीन मिश्र, 1962 में स्वतंत्र पार्टी से बसंत कुंवरि, 1967 व 1971 में भारतीय जनसंघ से शकुंतला नायर, 1977 में भारतीय लोकदल से रुद्रसेन चौधरी, 1980 व 1984 में कांग्रेस से राणावीर सिंह, 1989 में भाजपा से रुद्रसेन चौधरी, 1991 में भाजपा से लक्ष्मी नरायाण मणि त्रिपाठी, 1996, 1998, 1999 व 2004 में सपा से बेनी प्रसाद वर्मा, 2009 में सपा से बृजभूषण शरण सिंह, 2014 व 2019 में भाजपा से बृजभूषण शरण सिंह सांसद चुने गए।

बहराइच सुरक्षित सीट से कब कौन चुना गया सांसद

1952 में कांग्रेस से रफी अहमद किदवई, 1957 में कांग्रेस से जोगेंद्र सिंह, 1957 में स्वतंत्र पार्टी से कुंवर राम सिंह, 1967 में भारतीय जनसंघ से केके नायर, 1971 में कांग्रेस से बदलूराम, 1977 में भारतीय लोकदल से ओम प्रकाश त्यागी, 1980 में कांग्रेस से सैयद मुजफ्फर हुसैन, 1984 में कांग्रेस से आरिफ मोहम्मद खान, 1989 में जनता दल से आरिफ मोहम्मद खान, 1991 में भाजपा से रूद्रसेन चौधरी, 1996 में भाजपा से पद्मसेन चौधरी, 1998 में बसपा से आरिफ मोहम्मद खान, 1999 में भाजपा से पदमसेन चौधरी, 2004 में सपा से रुबाब सईदा, 2009 में कांग्रेस कमांडो कमल किशोर, 2014 में भाजपा से सावित्रीबाई फुले व 2019 में भाजपा से अक्षयबर लाल गौड़ सांसद चुने गए।

यह भी पढ़ें: UP Politics: इस बार चुनावी रण में खलेगी इन राजनीतिक धुरंधरों की कमी, अपनी रणनीति से बनाते बिगाड़ते थे सियासी गणित

यह भी पढ़ें: ‘हो सकता है मेरे टिकट के पीछे…’ कैसरगंज सीट पर BJP प्रत्याशी की घोषणा में देरी पर बृजभूषण सिंह ने बड़ी प्रतिक्रिया

chat bot
आपका साथी