आपदा ने छीना निवाला, जिदगानी को मुश्किल में डाला
गोंडा आपदा ने इस बार न सिर्फ फसलों को बर्बाद कर दिया बल्कि पशुओं
गोंडा : आपदा ने इस बार न सिर्फ फसलों को बर्बाद कर दिया बल्कि, पशुओं के चारे का संकट भी उत्पन्न हो गया है। कोई तटबंध तो कोई स्कूल में डेरा डाले हुए है। पानी में रहने को मजबूर लोगों को राहत के नाम पर कुछ नहीं मिल सका है। नदियों का जलस्तर घटने से कटान का खतरा बढ़ गया है। फिलहाल, अभी भी नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं।
भंभुआ में घरों में बाढ़ का पानी घुसने से कुछ परिवार तो तटबंध पर आ गए हैं, लेकिन अभी कुछ परिवार गांव में हैं। तटबंध पर विस्थापित लोगों को प्रशासन की तरफ से राहत किट दी गई है, लेकिन गांव में रुके लोगों को कुछ नहीं मिल सका है। वह बाढ़ का पानी के लिए मजबूर हैं। अमदहीबाजार में नदियों का जलस्तर थोड़ा कम जरूर हुआ है, लेकिन बाढ़ की दुश्वारियां कम नहीं हुई हैं। धान, मक्का व गन्ने की फसल बर्बाद होने के साथ ही पशुओं के चारे का संकट भी उत्पन्न हो गया है। स्कूल व घरों में पानी भरा होने से अब संक्रामक बीमारियों के फैलने की आशंका बढ़ गई है।
वहीं, कटान की आशंका को लेकर तटबंध के बचाव कार्य में मजदूर लगे हुए हैं। नियावां गांव में पानी भरा होने से ग्रामीण परेशान हैं। पकड़ीबाजार में ढेमवाघाट-सोहावल मार्ग पानी के तेज बहाव से कटान की जद में है। यहां लोगों का आवागमन ठप हो गया है। ब्योंदामाझा, ब्योंदा उपरहर भी बाढ़ की त्रासदी झेल रह है। फसलें पानी में डूब गई हैं। नवाबगंज में नदी के किनारे बसे गांव के लोगों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। नदी के तेज बहाव में लोगों के राहत की उम्मीदें भी बह गई हैं। साकीपुर, जैतपुर, दत्तनगर गांव में सबसे ज्यादा दिक्कतें हैं। तटबंध सुरक्षित
अधीक्षण अभियंता सिचाई पंचदशम मंडल त्रयंबक त्रिपाठी का कहना है कि नदियों का जलस्तर लगातार कमी आ रही है। एल्गिन ब्रिज पर घाघरा नदी खतरे के निशान से 27 व अयोध्या में सरयू नदी 49 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। घाघरा नदी में 3.15 लाख क्यूसेक पानी डिस्चार्ज हो रहा है। उन्होंने बताया कि तटबंध पूरी तरह से सुरक्षित है।