प्रवासी श्रमिकों का मनरेगा से हो रहा मोहभंग

क्षेत्र से बड़ी संख्या में मनरेगा में काम कर रहे प्रवासी श्रमिकों का अब पलायन हो रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 27 Nov 2020 09:20 PM (IST) Updated:Fri, 27 Nov 2020 09:20 PM (IST)
प्रवासी श्रमिकों का मनरेगा से हो रहा मोहभंग
प्रवासी श्रमिकों का मनरेगा से हो रहा मोहभंग

जागरण संवाददाता, खानपुर (गाजीपुर) : क्षेत्र से बड़ी संख्या में मनरेगा में काम कर रहे प्रवासी श्रमिकों का अब पलायन हो रहा है। इन प्रवासी श्रमिकों को गांव और जिले में रोकने की सारी मंशा और योजनाएं तार-तार होते दिख रही हैं।

परदेस यात्रा पर पुन: निकल रहे कामगार

प्रवासी श्रमिकों को न तो नियमित काम मिल रहा है, न ही श्रमिक काम मांग रहे हैं। सभी कामगार परदेस यात्रा पर पुन: निकल रहे हैं। इन सभी लोगों का जाब कार्ड तब बनाया गया था जब ये लोग लाकडाउन के दौरान अपने घर वापस आए थे। इनमें अधिकांश श्रमिक लाकडाउन खत्म होने के बाद शहरों को चले गए या जाने की तैयारी में है।

अनलाक होते ही घट गई श्रमिकों की संख्या

लाकडाउन के दौरान हजारों की संख्या में घर आए श्रमिकों ने अपना जाब कार्ड बनवाया और तालाबों का जीर्णोद्धार, सड़कों का निर्माण, पार्कों का सुंदरीकरण आदि कामों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। अनलाक होते ही श्रमिकों की संख्या घट गई है। ग्राम प्रधानों का कहना है कि अभी मनरेगा में काम नही होने और किए गए कामों का महीने भर से भुगतान नहीं होने से सभी प्रवासी श्रमिकों का मनरेगा से मोहभंग हो रहा है जिससें सभी प्रवासी मजदूर पलायन की ओर अग्रसर हो रहे हैं।

उद्देश्य से भटकती हुई दिख रही योजना

इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र के मजदूरों को भी रोजगार उपलब्ध कराने वाली महात्मा गाधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना अपने उद्देश्य से भटकती हुई दिख रही है। कोरोना काल के दौरान मनरेगा के तहत होने वाले काम मजदूरों से कराने की बजाय मशीन से कराया गया। इससे भी उनके कार्य पर प्रभाव पड़ा।

chat bot
आपका साथी