मटर की खेती से किसानों को मिल रहा रोजगार

जागरण संवाददाता गहमर (गाजीपुर) धान एवं गेहूं जैसी पारंपरिक खेती से किसान अब मुंह मोड़कर मटर की खेती की तरफ बढ़ रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 18 Jan 2021 09:37 PM (IST) Updated:Mon, 18 Jan 2021 09:50 PM (IST)
मटर की खेती से किसानों को मिल रहा रोजगार
मटर की खेती से किसानों को मिल रहा रोजगार

जागरण संवाददाता, गहमर (गाजीपुर) : धान एवं गेहूं जैसी पारंपरिक खेती से किसान अब मुंह मोड़ कर व्यवसायिक खेती की ओर उन्मुख होने लगे हैं। इस समय क्षेत्र के गहमर एवं सायर में हरी मटर खूब निकल रही है। मटर की खेती कर किसान मालामाल हो रहे हैं। हर वर्ष इसका रकबा बढ़ता जा रहा है। क्षेत्र में सबसे ज्यादा धान एवं गेहूं की खेती होती है। पैदावार अधिक होने के चलते किसानों को इसका संतोषजनक कीमत नहीं मिल पाती है। हालांकि दलहन एवं तिलहन आदि फसलों की बोआई भी होती है, लेकिन इसका रकबा बहुत कम है।

पहले भी मटर की बोआई होती थी, लेकिन सिर्फ दलहन के रूप में। पकने के बाद ही इसकी कटाई होती थी। हरी मटर का चलन बहुत कम था। इससे बाजार में महंगी मिलती थी। बाजार के रूख को किसानों ने पहचाना और हरी मटर की खेती करना शुरू किया। हरी मटर का अच्छा भाव मिलने से दिन ब दिन और किसान भी इससे जुड़ते गए और आज उत्पादन इतना बढ़ गया है कि जिले से बाहर भी भारी मात्रा में इसे भेजा जा रहा है। हरी मटर खरीदने के लिए यहां बाहर से भी काफी व्यापारी आते हैं। सायर क्षेत्र के राजमलबांध में तो काफी बड़ी मंडी लगती है। कुछ इसी तरह गहमर एवं भदौरा में भी मंडी लगने लगी है। हालांकि इसका दायरा अभी छोटा है। बहुत से किसान

स्थानीय मंडी में बेचने की बजाए मटर लेकर जिला मुख्यालय स्थित मंडी में भी चले जाते हैं। मटर की खेती से किसानों को तो आर्थिक लाभ ही हो रहा है, साथ ही क्षेत्र के खेतिहर मजदूरों को भी रोजगार मिल जाता है। धान की कटाई के बाद खेतिहर मजदूर बेरोजगार हो जाते हैं। अब उन्हें गेहूं की कटाई में ही काम मिलता है। ऐसे में बीच का जो समय बचता है, उसमें वह मटर की तोड़ाई कर कुछ कमाई कर लेते हैं। मटर की खेती करने वाले किसानों का तर्क है कि हरी मटर ऐसी फसल है जो खरीफ एवं रबी के बीच के सीजन में पैदा हो जाती है। ऐसे में हम लोग तीन फसलों का लाभ लेते हैं।

सायर के किसान अशोक यादव, रंजय, संजय सिंह, जय सिंह ने बताया कि बाजरा से खेत खाली होने के बाद की मटर बोआई कर दी और मटर से खाली होने के बाद गेहूं की बोआई हो जाएगी। गेहूं की बोआई में अगर देर हो गई तो प्याज लगा देंगे। वहीं ओमप्रकाश यादव, लक्ष्मण चौधरी, डा. सरफराज, सुरेंद्र यादव ने बताया कि हरी मटर की खेती नकदी फसल है। इससे हम लोगों को काफी लाभ मिलता है। एक बीघे की बोआई में लगभग आठ हजार रुपये की लागत आती है और अगर फसल एवं भाव अच्छा मिल गया तो पचीस से तीस हजार रुपये की मटर बिक जाती है।

chat bot
आपका साथी