गर्मी के मौसम में बरते सावधानियां वरना पड़ जाएंगे बीमार

जासं गाजीपुर गर्मी के मौसम में खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। तरल और ठंडी तासीर वाले पदार्थ ही शरीर को लू एवं धूप के प्रकोप से बचा सकते हैं। अगर बाहर निलने के दौरान लू लग जाए तो विशेश एहतियात बरतने की जरूरत है। इसके अलावा गर्मी के मौसम में अधिक पसीना निकलने से लोग घमौरियों एवं रैशेज से भी लोग परेशान हो जा रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 23 May 2019 05:37 PM (IST) Updated:Thu, 23 May 2019 05:37 PM (IST)
गर्मी के मौसम में बरते सावधानियां वरना पड़ जाएंगे बीमार
गर्मी के मौसम में बरते सावधानियां वरना पड़ जाएंगे बीमार

जासं, गाजीपुर : गर्मी के मौसम में खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। तरल और ठंडी तासीर वाले पदार्थ ही शरीर को लू एवं धूप के प्रकोप से बचा सकते हैं। अगर बाहर निकलने के दौरान लू लग जाए तो विशेष एहतियात बरतने की जरूरत है। इसके अलावा गर्मी के मौसम में अधिक पसीना निकलने से लोग घमौरियों एवं रैशेज से भी लोग परेशान हो जा रहे हैं।

आयुर्वेद के अनुसार ठंडी तासीर या प्रकृति की चीजों का इस्तेमाल करने से हमारे शरीर का मेटाबॉलिज्म सिस्टम ठंडा होना शुरू हो जाता है और शरीर में ठंडक आने लगती है। चावल, जौ का पानी, केला, छाछ, दही, लस्सी आदि लेने से शरीर को ठंडक मिलती है। दूध की लस्सी भी ले सकते हैं। ज्यादातर सब्जियों की तासीर ठंडक देने वाली होती है। इनमें लौकी और तोरी सबसे ठंडी होती हैं। आम व लीची को छोड़कर ज्यादातर फल ठंडक देने वाले होते हैं जैसे कि मौसमी, संतरा, आडूए चेरी, शरीफा, तरबूज, खरबूजा आदि गर्मियों के लिहाज से अच्छे हैं। सौंफ, इलायची, कच्चा प्याज, आंवला, धनिया, पुदीना और हरी मिर्च की तासीर भी ठंडी होती है। लू से बचाव के लिए कई तरह के पेय पदार्थों का इस्तेमाल किया जा सकता है जैसे कि ठंडई, आम पना, शिकंजी, लस्सी, नारियल पानी आदि के साथ-साथ खस, ब्राह्मी, चंदन, बेल, केवड़ा, सत्तू के शर्बत आदि का सेवन करना लाभदायक होता है।

लू लगने के लक्षण

: बेहोशी आना, तेज बुखार, सांस लेने में तकलीफ, उलटी आना, चक्कर आना, दस्त, सिरदर्द, शरीर टूटना, बार.बार मुंह सूखना और हाथ, पैरों में कमजोरी आना या निढाल होना लू लगने के लक्षण हैं। लू लगने पर काफी पसीना आ सकता है या एकदम पसीना आना बंद भी हो सकता है।

लू लगने पर खानपान

: लू लगने पर बेल या दूसरी तरह के शर्बत और जौ का पानी दें। इसके अलावा तलवों, हथेलियों व माथे पर चंदन का लेप और सिर पर मेहंदी लगाएं। बाहर का खाना न खाएं। घर में भी परांठा, पूड़ी-कचौड़ी, तला-भुना आदि न खाएं। वहीं नीबू पानी और इलेक्ट्रॉल पीते रहें। शुगर के मरीज बिना चीनी का शर्बत और ठंडई लें। आधा दूध और आधा पानी मिलाकर लस्सी पीएं।

रैशेज और घमौरियां से करें बचाव

-रैशेज और घमौरियां ज्यादातर ऐसी जगहों पर होती हैं जहां स्किन फोल्ड होती है। जैसे जांघ या बगल आदि। इसके अलावा पेट और कमर पर भी होते हैं। कमर पर उन लोगों को ज्यादा होती हैं जो लगातार गाड़ी चलाते हैं। घमौरियां और रैशेज होने पर स्किन लाल पड़ जाती है और उसमें खुजली व जलन होती है। रैशेज से स्किन में दरारें सी नजर आती हैं और स्किन सख्त हो जाती है। वहीं घमौरियों में लाल-लाल दाने निकल आते हैं। बाहर की स्किन की परत ब्लॉक होने पर दानेवाली घमौरियां निकलती हैं। ये आमतौर पर बच्चों में बुखार के दौरान निकलती हैं। इसके लिए किसी दवा की जरूरत नहीं होती। गर्मियों में आमतौर पर निकलने वाली घमौरियां बीच की लेयर पर निकलती हैं और इनमें खुजली होती है। इससे बचने के लिए खुले, हल्के और हवादार कपड़े पहनें। टाइट और ऐसे कपड़े न पहनें, जिनमें रंग निकलता हो। साथ ही घमौरियों वाले हिस्से की दिन में एकाध बार बर्फ से सिकाई कर सकते हैं और उन पर मेडिकेटेड पाउडर जरूर लगाएं।

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