अमृतसर हादसे में बगेंद गांव के चाचा-भतीजा की मौत

जागरण संवाददाता, मुहम्मदाबाद (गाजीपुर) : दशहरा मेला के दौरान अमृतसर में हुए ट्रेन हादसे में करीमुद्दीनपुर थाना क्षेत्र के बगेंद गांव के प्रदीप ¨सह कुशवाहा (22), भतीजा सार्थक (4) की मौत होने की सूचना पर पूरे गांव में शौक का माहौल व्याप्त है। गांव में मृतक के पिता शिवकुमार कुशवाहा व माता दुलरिया देवी बेसुध पड़े हुए है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 20 Oct 2018 06:23 PM (IST) Updated:Sat, 20 Oct 2018 08:15 PM (IST)
अमृतसर हादसे में बगेंद गांव के चाचा-भतीजा की मौत
अमृतसर हादसे में बगेंद गांव के चाचा-भतीजा की मौत

जागरण संवाददाता, मुहम्मदाबाद (गाजीपुर) : दशहरा मेला के दौरान अमृतसर में हुए ट्रेन हादसे में करीमुद्दीनपुर थाना क्षेत्र के बगेंद गांव के प्रदीप ¨सह कुशवाहा (22), भतीजा सार्थक (4) की मौत होने की सूचना पर जहां परिवार में कोहराम मच गया, वहीं पूरे गांव में शौक का माहौल व्याप्त है। गांव में मृतक के पिता शिवकुमार कुशवाहा व माता दुलरिया देवी बेसुध पड़े हुए हैं। अमृतसर में ही दोनों शवों का अंतिम संस्कार कर दिया गया।

अमृतसर स्थित जोड़ा फाटक स्थित मैदान में लगे दशहरा के मेले में प्रदीप भी अपने बड़े भाई रामविलास के पुत्र सार्थक व पुत्री काजल के साथ गये थे। रावण का पुतला जलने के बाद भीड़ के भागने पर वह भी रेल ट्रैक के पास पहुंच गये और हादसे का शिकार हो गया। मृतक प्रदीप यमुनानगर में प्लाइवुड का काम करते थे और बड़े भाई रामविलास अमृतसर में प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं। रामविलास ने पत्नी उर्मिला के गर्भवती होने पर सहयोग के लिए छोटे भाई प्रदीप को एक माह पहले यमुनानगर से अमृतसर बुला लिए थे। रामविलास अपने रिश्तेदारों के माध्यम से 18 वर्ष पूर्व अमृतसर कमाने गए थे। वहीं पर वह परिवार सहित रहते थे। पिछले वर्ष दीपावली के त्योहार में वह परिवार सहित घर आए थे। एक माह घर पर रहने के बाद वह वापस अमृतसर चले गए जबकि प्रदीप करीब पांच माह पूर्व घर आए थे। रामविलास की पत्नी उर्मिला का 20 दिन पूर्व अमृतसर में ही सीजियर प्रसव हुआ था। अभी वह पूर्ण रूप से स्वस्थ भी नहीं हो सकी थी कि इसी बीच उसके ऊपर दुख का पहाड़ टूट पड़ा। रामविलास की दो पुत्र व एक पुत्री थे। उसमें से बड़ा बेटा सार्थक हादसे का शिकार हो गया। इधर पुत्री काजल अस्पताल में ¨जदगी व मौत के बीच झूल रही है। ----------------

भाई-बहनों में सबसे छोटे थे प्रदीप

- हादसे में काल का ग्रास बने प्रदीप अपने चार भाई बहनो में सबसे छोटे व चौथे नंबर पर और अविवाहित थे। घटना की जानकारी मिलने के बाद से प्रदीप की मां दुलरिया देवी का रो-रोकर बुरा हाल है। मां दुलरिया देवी 'बचवा हो बचवा कहवां गइल हो बचवा, केनियों से अईब त माई-माई बोलावत रहला-ह हो बचवा.' कह कर रो रही हैं। यह सुन वहां मौजूद लोगों के आंख भी भर जा रही थी। वहीं पिता शिवकुमार ने रोते हुए बताया कि अगर उनकी बहू का सामान्य प्रसव से बच्चा पैदा हुआ होता तो पूरा परिवार गांव आ गया होता। उनके छोटे पुत्र प्रदीप के विवाह की बातचीत हो रही थी और लड़की देखने जाना था, लेकिन भगवान ने उससे पहले ही हमसे जुदा कर दिया। ------------- थानाध्यक्ष की सक्रियता से बची श्रद्धालुओं की जान

जासं, दुल्लहपुर (गाजीपुर): थाना क्षेत्र के स्थानीय बाजार स्थित रेलवे फाटक पर शुक्रवार की रात अमृतसर जैसा ही हादसा होते-होते बचा लेकिन थानाध्यक्ष राजू कुमार की सक्रियता से सभी श्रद्धालुओं की जान बच गई। रेलवे फाटक से 100 मीटर की दूर स्थित पूर्वी क्षेत्र पर हनुमान समिति तथा पश्चिमी क्षेत्र में पुरुषोत्तम समिति के तरफ से दुर्गा पंडाल लगाया गया था। दोनों पंडालों के तरफ से रेलवे क्रा¨सग के तरफ रोशनी की व्यवस्था नहीं होने पर श्रद्धालु रेलवे ट्रैक को पार कर रहे थे। इसी दौरान आ रही इंटरसिटी एक्सप्रेस ट्रेन पर थानाध्यक्ष की नजर पड़ गई। इसके बाद वह अपने सहयोगियों संग रेलवे क्रा¨सग के पास पहुंच गए और श्रद्धालुओं को टार्च की रोशनी के सहारे रोककर बचा लिया। इसके बाद उन्होंने क्रा¨सग के दोनों तरफ पुलिस टीम की तैनाती कर दी।

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