बदली-बदली फिजा, बदले-बदले हुजूर

बारा (गाजीपुर) : चुनाव दर चुनाव निर्वाचन आयोग के डंडे का प्रभाव और असरदार साबित होने लगा है। अब तक च

By Edited By: Publish:Fri, 20 Jan 2017 05:15 PM (IST) Updated:Fri, 20 Jan 2017 05:15 PM (IST)
बदली-बदली फिजा, बदले-बदले हुजूर
बदली-बदली फिजा, बदले-बदले हुजूर

बारा (गाजीपुर) : चुनाव दर चुनाव निर्वाचन आयोग के डंडे का प्रभाव और असरदार साबित होने लगा है। अब तक चुनावी घोषणा के बाद छिपे तौर पर ही सही टोपियां और बिल्ले बांटने का कार्य आरंभ हो जाता था। गंवई राजनीति में प्रभाव रखने वाले लोगों द्वारा अपने घरों पर झंडे आदि भी लगाकर संदेश देने का प्रयास किया जाता था। इस बार अधिसूचना जारी होने के तत्काल बाद से ही आचार संहिता का कड़ाई से पालन करवाने के लिए पुलिस और प्रशासनिक अमले के लग जाने से माहौल बदला सा नजर आने लगा है।

चुनावी प्रचार अभियानों में फुटबाल मैच, यज्ञ और सार्वजनिक आयोजन एक साथ अधिक लोगों से मुलाकात संभव होने के कारण नेताओं के पसंदीदा माने जाते थे। जनसंपर्क के लिए निकलने वाली टोलियों में भी चोरी छिपे पंपलेट और बच्चों को रिझाने के लिए बिल्ले आदि बांटने का कर्यक्रम नामांकन के पहले से ही किया जाता था। अब ताबड़तोड़ चे¨कग होने से इसका प्रयोग करने का लोग हौंसला नहीं जुटा पा रहे हैं। इससे सभी का संपर्क अभियान छिपे तौर पर ही चल रहा है ।

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शोहदों की शाम पर भी असर

चुनाव को लेकर शराब के करोबार पर भी छापेमारी के कारण काफी हद तक रोक लग सकी है । नोटबंदी के बाद से धन निकासी की सीमा नहीं बढ़ने और बड़ी निकासी को लेकर हो रही जांच-पड़ताल से शुरुआती दौर में नेताओं को भी जेब ढीली करने में समस्या सामने आ रही है। इससे वे अभी खुलकर आवभगत भी नहीं कर पा रहे हैं। आमतौर पर दिनभर साथ रहकर महौल गरमाने का कार्य करने के बाद शाम को पूरी व्यवस्था मिलने से शोहदों की पौ बारह दिखती थी । अभी तक सभी प्रत्याशियों के नाम सामने नहीं आने से घोषित और संभावित प्रत्याशी समर्थकों द्वारा भले ही क्षेत्र में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने का कार्य किया जा रहा है ।

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