विवेकानंद समेत दस पर गैंगेस्टर व रासुका

गाजीपुर : जिला प्रशासन ने जंगीपुर कांड के 10 आरोपियों पर गैंगेस्टर और रासुका लगा दिया है। इनमें छात्

By Edited By: Publish:Tue, 01 Sep 2015 01:01 AM (IST) Updated:Tue, 01 Sep 2015 01:01 AM (IST)
विवेकानंद समेत दस पर गैंगेस्टर व रासुका

गाजीपुर : जिला प्रशासन ने जंगीपुर कांड के 10 आरोपियों पर गैंगेस्टर और रासुका लगा दिया है। इनमें छात्रनेता विवेकानंद पांडेय समेत दस लोगों को चिह्नित किया गया है। प्रो. ओमप्रकाश ¨सह पर ये दोनों धाराएं न लगाकर पुलिस ने मामले को साधने की कोशिश की है। वैसे अभी जेल में कुल 32 लोग बंद हैं। तीन सितंबर को 22 लोगों की जमानत प्रक्रिया सकुशल सम्पन्न हुई तो वे लोग जेल से बाहर हो सकते हैं। रासुका व गैंगेस्टर धराएं लगाने के बाबत एसपी ने पुष्टि की।

गौरतलब है कि जंगीपुर में बुनियादी सुविधाओं के लिए 12 अगस्त से छात्रनेता विवेकानंद पाण्डेय अनशनरत थे। तीन दिनों बाद प्रशासनिक अधिकारी अनशन स्थल पर पहुंचे और अनशनकारियों से वार्ता प्रारंभ की। इसी बीच किसी बात पर तत्कालीन सीओ सिटी प्रभात कुमार हत्थे से उखड़ गए। उन्हें उखड़ते देख कुछ पुलिस कर्मी सड़क पर लाठी पीटने लगे। पुलिस का यह व्यवहार देख अनशन स्थल पर जुटी भीड़ भी उग्र हो गई। इसी का फायदा कुछ उपद्रवियों ने उठाया। उसके बाद जो हुआ उससे पूरा जिला वाकिफ है। छह घंटे तक पुलिस और उपद्रवियों के बीच जमकर गुरिल्ला युद्ध हुआ। कई पुलिस कर्मियों सहित दर्जनों नागरिकों को चोटें आईं। उसी रात पुलिस ने अभियान चलाकर दर्जनों लोगों को गिरफ्तार कर लिया। इस पूरे प्रकरण का दुखद पहलू यह रहा कि सहजानंद स्नातकोत्तर महाविद्यालय के चीफ प्राक्टर प्रो. ओमप्रकाश ¨सह पुलिस के कोप का शिकार हो गए। उनके साथ पुलिस ने अपराधियों जैसा सलूक किया। जमकर धुनाई कर जेल में डाल दिया। उनकी मार की कलई उस समय खुली जब वे जिला अस्पताल में मेडिकल कराने आए और मीडिया कर्मियों के सामने अपने वस्त्र उतार दिए। कमर से लगायत एड़ी तक की चमड़ी काली हो गई थी।

कप्तान ने संभाली कमान

खैर मामला इतना बढ़ा कि जेल में अनशनकारियों से मिलने वालों का तांता लग गया। उधर प्रशासन भी पूरे प्रकरण पर पैनी नजरें गड़ाए हुए था। समूचे मामले को एसपी आनंद कुलकर्णी ने अपने हाथ में ले ली। बवाल के बाद उन्हें प्रथम दृष्टया तत्कालीन सीओ प्रभात कुमार को दोषी मानते हुए उनका सर्किल बदल दिया। इसके बाद एसपी जुट गए जनता का विश्वास जीतने में लग गए। इस मामले में उन्हें कामयाबी भी मिली। वहीं दूसरी ओर समूचे प्रकरण की पारदर्शितापूर्ण विवेचना की जिम्मेदारी एसपी सिटी लल्लन राय के जिम्मे कर दी। अंत में जिला प्रशासन ने पूरे मामले की तहकीकात करते हुए यह निर्णय लिया कि छात्रनेता विवेकानंद पाण्डेय समेत दस लोगों पर गैंगेस्टर व रासुका लगा दी जाए। वहीं प्रोफेसर ओमप्रकाश ¨सह को इन धाराओं से अलग कर दिया गया।

राजनीतिक दलों की हुआं-हुआं

छात्रनेता विवेकानलंद और प्रोफेसर ओमप्रकाश ¨सह की बर्बर पुलिसिया पिटाई पर एक मात्र भाजपा ने आवाज बुलंद की वो भी हुआं-हुआं वाली स्टाइल में। भाजपा जिलाध्यक्ष कृष्णबिहारी राय कांड के कई दिन बाद लखनऊ से आई भाजपा की जांच टीम के साथ मीडिया के सामने आए। तीखा विरोध नहीं करने के बाबत उनकी दलील बहुत हास्यास्पद थी। कहा था कि हमलोग अ¨हसक हैं। वहीं बसपा ने तो इस प्रकरण से ही पल्ला झाड़ लिया। इस मुद्दे पर कांग्रेस ने क्या किया इसका जवाब कांग्रेसियों के पास नहीं है। सत्ता पक्ष के नेताओं के बारे में कुछ कहना ही नहीं है। हां छुटभैये सपाई जरूर पहले पुलिस से पकड़वाते फिर हमदर्द बन छुड़ाने के बाद राजनीतिक रोटी जमकर सेंकी। सर्वदलीय संघर्ष समिति भी मुरझाए मन से अंत में हुआं-हुआं में शामिल हो ही गई।

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