कोलकाता के डॉक्टर ने गाजियाबाद में बचाई युवती की जान

जासं गाजियाबाद अस्पताल गाजियाबाद का और इलाज कोलकाता से। सुनने में भले ही यह अजीब लग रहा ह

By JagranEdited By: Publish:Wed, 12 May 2021 09:56 PM (IST) Updated:Wed, 12 May 2021 09:56 PM (IST)
कोलकाता के डॉक्टर ने गाजियाबाद में बचाई युवती की जान
कोलकाता के डॉक्टर ने गाजियाबाद में बचाई युवती की जान

जासं, गाजियाबाद : अस्पताल गाजियाबाद का और इलाज कोलकाता से। सुनने में भले ही यह अजीब लग रहा है, लेकिन सच है। जिले के एक सरकारी अस्पताल में भर्ती कोरोना से गंभीर रूप से संक्रमित गुरुग्राम के एक बैंक में तैनात देहरादून की युवती इति विनीत की जान कोलकाता में मौजूद उसके परिचित चिकित्सक ने फोन पर दवाएं और परामर्श देकर बचा ली। इति विनीत कोरोना को हराकर पूरी तरह से ठीक हो गई हैं और अब अपने पति अंकुर शर्मा के साथ देहरादून चली गई हैं।

मूल रूप से देहरादून निवासी 32 वर्षीय इति विनीत अपने पति अंकुर शर्मा के साथ गुरुग्राम में रहती हैं। इति गुरुग्राम स्थित एक बैंक में प्रबंधक व अंकुर एक निजी कंपनी में सीनियर पद पर काम करते हैं। 16 अप्रैल को इति को बुखार आया। कोरोना मानकर उन्होंने तुरंत ही खुद हो आइसोलेट कर लिया। अगले दिन जांच कराई तो वह पाजिटिव निकलीं। अगले दिन उनके पति ने भी कोरोना की जांच कराई तो वह भी पाजिटिव आए। इति ने अपने चचेरे भाई विवेक शर्मा से बात की। विवेक ने उन्हें कोलकाता के डॉक्टर शुभ्रज्योति भौमिक का नंबर दिया। शुभ्रज्योति ने इति विनीत व अंकुर का घर पर ही उपचार शुरू कर दिया। वह कोलकाता से वाट्सएप पर दवा लिखते रहे और पति-पत्नी के स्वास्थ्य के बारे जानकारी करते रहे। इस बीच इति विनीत की हालात खराब होने लगी। डॉक्टर की सलाह पर इति विनीत ने सीटी स्कैन कराया तो उनके फेफड़ों में 15 प्रतिशत संक्रमण मिला। 21 अप्रैल को उनका आक्सीजन स्तर गिरकर 89 हो गया। डॉक्टर शुभ्रज्योति ने तुरंत अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दी। वह गाजियाबाद के एक सरकारी अस्पताल में भर्ती हो गई, जहां उन्हें चार दिन तक आक्सीजन पर रखा गया। इति ने बताया कि उन्हें यहां पर केवल नर्स देखने के लिए आती थी, डॉक्टर नहीं आते थे। वह काफी डरी और सहमी थीं। अस्पताल में भी वह डॉक्टर शुभ्रज्योति के संपर्क में रहीं और उन्हीं की बताई दवाइयां लेती रहीं। नौ दिन बाद 29 अप्रैल को उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आ गई और उन्होंने अस्पताल से छुट्टी ले ली। घर पर आइसोलेट पति अंकुर शर्मा भी शुभ्रज्योति के इलाज से ठीक हो गए। उनकी रिपोर्ट भी एक मई को नेगेटिव आ गई। ठीक होने के बाद पति-पत्नी देहरादून चले गए। आंखों के सामने होती थी मरीजों की मौत

इति ने बताया कि अस्पताल में उनकी आंखों के सामने कोरोना मरीजों की मौत हो जाती थी। इस दौरान वह मानसिक रूप परेशान हो गई थी। जब मरीज की मौत होती तो वह दूसरी तरफ को करवट लेकर लेट जाती थी। इस दौरान डॉक्टर शुभ्रज्योति व परिवार वालों ने उनका मनोबल बढ़ाया। डॉक्टर शुभ्रज्योति को उन्होंने आनलाइन ही पेमेंट किया। ठीक होने के बाद भी स्वास्थ्य पर नजर

इति ने बताया कि कोरोना को हराने के बाद वह और उनके पति अपने स्वास्थ्य पर नजर रख रहे हैं। रोज अपना आक्सीजन स्तर चेक करते हैं। प्रतिदिन भाप लेते हैं और व्यायाम करते हैं। विटामिन आदि की दवा भी ले रहे हैं।

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