तुलसी निकेतन में बंद फ्लैट का छज्जा गिरा, टला हादसा

जागरण संवाददाता साहिबाबाद तुलसी निकेतन कॉलोनी में रविवार दोपहर बारिश के दौरान एक ब

By JagranEdited By: Publish:Sun, 26 Jul 2020 08:59 PM (IST) Updated:Sun, 26 Jul 2020 08:59 PM (IST)
तुलसी निकेतन में बंद फ्लैट का छज्जा गिरा, टला हादसा
तुलसी निकेतन में बंद फ्लैट का छज्जा गिरा, टला हादसा

जागरण संवाददाता, साहिबाबाद :

तुलसी निकेतन कॉलोनी में रविवार दोपहर बारिश के दौरान एक बंद फ्लैट का छज्जा टूटकर गिर गया। इस हादसे से कुछ ही सेकेंड पहले वहां खड़े भाई बहन फ्लैट में अंदर गए थे। हादसे में नीचे का फ्लैट भी क्षतिग्रस्त हो गया है। छज्जा गिरने से कॉलोनी के लोग दहशत में हैं। कॉलोनी को जीडीए ने पहले ही जर्जर घोषित कर रहने योग्य नहीं बताया है।

तुलसी निकेतन कॉलोनी में राजेश अग्रवाल फ्लैट संख्या 712 पहली मंजिल में परिवार के साथ रहते हैं। उनके ऊपर दूसरी मंजिल पर बने फ्लैट में कोई नहीं रहता है। फ्लैट के मालिक कभी-कभी यहां आते हैं। इससे मकान की मरम्मत और रखरखाव सही से नहीं हो रहा है। कई बार राजेश व बिल्डिंग के अन्य लोगों ने फ्लैट के मालिक से छज्जे की मरम्मत के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने छज्जे की मरम्मत नहीं कराई। रविवार दोपहर तीन बजे बारिश के दौरान छज्जा टूटकर गिर गया। जहां पर छज्जा किया वहां से कुछ ही सेकेंड पहले राजेश के बेटे रिषभ और बेटी उत्षकर्षा वहां से अंदर गए थे। हादसे के बाद मौके पर लोगों की भीड़ लग गई। हादसे में राजेश का भी मकान क्षतिग्रस्त हो गया। बंद फ्लैट हो रहे जर्जर: तुलसी निकेतन कॉलोनी के आरडब्ल्यूए अध्यक्ष कुलदीप कसाना का कहना है कि सन 1989 में जीडीए ने कॉलोनी बनाई। अभी तक दर्जनों फ्लैट ऐसे में जिनका आवंटन नहीं हुआ है या उनमें कोई नहीं रहता है। ऐसे में उन फ्लैटों की मरम्मत नहीं हो पाती है। उन फ्लैटों के जर्जर होने से जीडीए ने पूरी कॉलोनी को जर्जर घोषित किया है। एक दिन बारिश होने के बाद कई दिन तक कॉलोनी की सड़कों पर पानी भरा रहता है। ऐसे में सीलन की वजह से भी इमारतें जर्जर हो रही हैं। जीडीए की ओर से पानी निकासी की व्यवस्था नहीं की गई है। जीडीए की ओर से कॉलोनी का बीते वर्ष ही निरीक्षण कराया गया था। कॉलोनी जर्जर हो चुकी है। कॉलोनी में रहना खतरे से खाली नहीं है। नोटिस भेजने के बाद भी लोग फ्लैट खाली करने को तैयार नहीं हुए। जब तक कॉलोनी का दोबारा निर्माण नहीं होगा तब तक समस्याओं का हल नहीं होगा।

- एसके सिन्हा, अधिशासी अभियंता जीडीए

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