जिले में 30 सितंबर तक पीएनजी में बदलनी होंगी औद्योगिक इकाइयां

इकाइयों को पीएनजी में बदलने के लिए गाइडलाइन तय कर दी गई हैं

By JagranEdited By: Publish:Tue, 23 Aug 2022 10:05 PM (IST) Updated:Tue, 23 Aug 2022 10:05 PM (IST)
जिले में 30 सितंबर तक पीएनजी में बदलनी होंगी औद्योगिक इकाइयां
जिले में 30 सितंबर तक पीएनजी में बदलनी होंगी औद्योगिक इकाइयां

जिले में 30 सितंबर तक पीएनजी में बदलनी होंगी औद्योगिक इकाइयां

शाहनवाज अली, गाजियाबाद

गाजियाबाद को प्रदूषण से राहत दिलाने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने 30 सितंबर तक संचालकों को कोयले, लकड़ी व डीजल से संचालित इकाइयों को पीएनजी (पाइप्ड नेचुरल गैस) में बदलने के निर्देश दिए हैं, जहां गैस पाइपलाइन पहुंचनी बाकी हैं, उन औद्योगिक इकाइयों को 31 दिसंबर 2022 तक का समय दिया गया है। इसके बाद औद्योगिक इकाइयों में कोयले के प्रयोग की अनुमति नहीं होगी।

शहरी व आसपास के इलाकों में गाजियाबाद में हवा की गुणवत्ता की स्थिति चिंताजनक है। हर वर्ष सितंबर से दिसंबर के बीच हवा दम घोंटने लगती है। पंजाब-हरियाणा से पराली, वाहनों और औद्योगिक इकाइयों से होने वाले प्रदूषण को इसकी बड़ी वजह माना जा रहा है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने इस बार प्रदूषण पर लगाम कसने के लिए पहले से तैयारियां तेज कर दी हैं। आयोग ने औद्योगिक इकाइयों को पीएनजी में बदलने की स्थिति की रिपोर्ट मांगी है। इकाई संचालकों का तर्क है कि पीएनजी महंगी है। आयोग ने पाइपलाइन वाले औद्योगिक क्षेत्र की इकाइयों को 30 सितंबर तक इकाइयां पीएनजी में बदलने के निर्देश दिए हैं। वहीं, पाइपलाइन पहुंचने से वंचित क्षेत्रों को 31 दिसंबर तक का समय दिया गया है। वहीं उद्यमियों का कहना है कि 40 दिन में यह बदलाव संभव नहीं। इसके लिए समय सीमा कम से कम एक से डेढ़ वर्ष की जाए।

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सांस लेना होता है मुश्किल

गाजियाबाद का 500 के करीब पहुंच जाता है एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ)

वर्ष में नौ माह से अधिक रहती है गाजियाबाद की हवा प्रदूषित

0 से 50 के बीच अच्छा माना जाता है एक्यूआइ

200 के पार पहुंचते ही खतरनाक होने लगती है हवा

401 से अधिक एक्यूआइ की अति गंभीर श्रेणी

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वायु प्रदूषण की यह भी बड़ी वजह

- जिले में जगह-जगह जाम में फंसे वाहन धुआं उगलते हैं

- करीब 11 लाख वाहन जिले में पंजीकृत हैं

- दो लाख से अधिक वाहन दूसरे जनपद व राज्यों से जिले में आते हैं

- घनी आबादी व अन्य जगह बड़ी संख्या में अवैध फैक्ट्रियां, ईंट के भट्टे

- आए दिन कूड़े में आग, बैट्री गलाने और तार जलाकर निकालना

- बड़ी संख्या में जेनरेटर का चलना

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आइआइए गाजियाबाद के अध्यक्ष राकेश अनेजा के मुताबिक पीएनजी कोयले से चार गुना महंगी है। बदलाव के लिए समय सीमा बढ़ाई जाए और गाजियाबाद में भी आगरा की तर्ज पर सब्सिडी मिले। पीएनजी आपूर्ति करने वाली आइजीएल कंपनी जिले में करीब 11 साल से है, लेकिन वह अभी तक चुनिंदा तीन या चार औद्योगिक क्षेत्रों में कहीं-कहीं पाइपलाइन से आपूर्ति कर पाई है। अभी कंपनी के पास ही संसाधनों की कमी है।

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क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड उन औद्योगिक इकाइयों को चिह्नित कर रहा है, जिन्होंने इस दिशा में अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं। तय समय तक बदलाव न करने पर जुर्माना लगाया जाएगा।

- उत्सव शर्मा, क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी

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इकाइयों को पीएनजी से चलाने के लिए कई बार बैठकें हो चुकी है। उद्यमियों की समस्याओं को विभागीय स्तर पर शासन स्तर तक भेजा गया है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से समय सीमा निर्धारित की गई है।

- श्रीनाथ पासवान, सहायक उपायुक्त उद्योग

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पीएनजी को अपनाने में बड़ी पूंजी लागत शामिल है। मशीनें बहुत महंगी हैं। इससे इंडस्ट्री का संचालन मुश्किल होगा। आयोग को इस पहलू पर विचार करके एक से डेढ़ वर्ष का समय देना चाहिए।

- राजीव अरोड़ा, उद्यमी

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औद्योगिक इकाइयों में पीएनजी की अनिवार्यता इंडस्ट्री की परेशानी का सबब होगी। पीएनजी की लागत मौजूद ईंधन कोयला या लकड़ी से बहुत ज्यादा है।

- मनोज कुमार, चेयरमैन एनवायरमेंट एंड पीएनजी वर्किंग कमेटी आइआइए

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