आंसूओं में डूबा गांव, द्वारिकापुरी में सन्नाटा

फीरोजाबाद: कछला गंगाघाट पर डूबकर दो भाइयों की मौत, शाम को नैपई पहुंचे शव। मां की अस्थियां प्रवाहित करने गए थे पिता के साथ, साथ थे दो अन्य भी।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 14 Jun 2018 12:06 AM (IST) Updated:Thu, 14 Jun 2018 12:17 AM (IST)
आंसूओं में डूबा गांव, द्वारिकापुरी में सन्नाटा
आंसूओं में डूबा गांव, द्वारिकापुरी में सन्नाटा

जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद : कछला घाट पर दो सगे भाइयों की मौत की खबर आते ही गांव मुहम्मदपुर महलई गम में डूब गया। द्वारिकापुरी निवासी चरन ¨सह के बेटे अंकित व अजीत की मौत की खबर सुनकर हर कोई हतप्रभ था। शाम को शव गांव में पहुंचे तो हर कोई बिलख पड़ा। जब दो सगे भाइयों की चिता एक साथ जली तो हर आंख नम हो गई।

मूल रूप से महलई नैपई के निवासी चरन ¨सह वर्तमान में कोटला रोड द्वारिकापुरी पर रहते हैं। दो वर्ष पूर्व इनकी पत्नी की मौत हो गई थी। वह देवी-देवताओं की स्थापना और अस्थि विसर्जन के लिए लिए अपनी वैगन आर कार से कछला गंगा घाट पर गए थे। उनके साथ उनके बेटे अंकित और अजीत भी थे। सुबह आठ बजे करीब गंगा कछलाघाट पर नहाते वक्त दोनों बेटे डूब गए। हादसे की खबर गांव में पहुंची तो अन्य परिजन व ग्रामीण भी कछला घाट लिए दौड़ पड़े। द्वारिकापुरी स्थित घर पर रिश्तेदारों का पहुंचना शुरू हो गया। परिजनों के साथ सभी रिश्तेदार भी गांव पहुंच गए। इससे द्वारिकापुरी में सन्नाटा फैल गया। इधर शव गांव में पहुंचे तो समूचा गांव गमजदां हो गया। दो सगे भाइयों की चिता एक साथ जली तो हर आंख नम हो गई।

पिता की आंखों के सामने दोनों बेटों ने तोड़ दिया दम :

कछला गंगाघाट पर हुए हादसे के बाद पिता चरन ¨सह की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। गंगा में उसने अपनी आंखों के सामने बेटों को डूबते हुए देखा। गोताखोरों ने जब इन्हें निकाला तो एक बेटे की मौत हो चुकी थी। दूसरे बेटे में कुछ सांस देखकर पिता ने उसे बचाने के लिए पूरी कोशिश की। घाट पर चिकित्सा सुविधा नहीं मिली तो अपनी गाड़ी से बेटे को लेकर अस्पताल के लिए भी दौड़े, लेकिन दूसरे बेटे ने भी दम तोड़ दिया। दो बेटों की मौत देखने के बाद में पिता की आंखों से आंसू नहीं थम रहे थे तो जुबां से शब्द नहीं फूट रहे थे।

मेरी कार ले लो, पैसा ले लो, मगर बच्चे बचा दो

दो बेटों को नदी में डूबता देख चरन ¨सह होशोहवास खो बैठे। वह लोगों से उन्हें बचाने की गुहार लगाते रहे। कभी कहते मेरी कार ले लो, मेरे पैसे ले लो और लाड़लों को बचा लो, मगर कोई आगे नहीं आया।

घर पर नहीं थी मौत की सूचना..

मुहल्ले वासियों की माने तो बेटों के साथ में चरन ¨सह काफी श्रद्धा के साथ कछला घाट गए थे। सुबह घर में महिलाएं रोजमर्रा के काम में जुटी थी। कछला घाट पर पूजन की क्रिया पूर्ण होने के बाद में फोन आने का इंतजार था। जब फोन आया तो समझा कि शायद पूजन की क्रिया पूर्ण होने के बाद जब घर पर फोन आया। बताया कि अजीत की अचानक तबियत खराब हो गई है। अजीत की एक साल पहले शादी हुई थी और अंकित कुंवारा था। शाम को जब शव पहुंचे तो चीत्कार मच गया।

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