बुढ़ापे का सहारा नहीं बन पा रही महात्मा गांधी पेंशन योजना

बुढ़ापे का सहारा नहीं बन पा रही महात्मा गांधी पेंशन योजना

By JagranEdited By: Publish:Sat, 30 May 2020 10:59 PM (IST) Updated:Sat, 30 May 2020 10:59 PM (IST)
बुढ़ापे का सहारा नहीं बन पा रही महात्मा गांधी पेंशन योजना
बुढ़ापे का सहारा नहीं बन पा रही महात्मा गांधी पेंशन योजना

संवाद सहयोगी, फीरोजाबाद: सरकार ने बुजुर्ग श्रमिकों को आíथक मदद पहुंचाने के उद्देश्य से महात्मा गांधी पेंशन योजना का सहारा दिया। ताकि हर माह पेंशन के रुप में मिलने वाले एक हजार रुपये से गुजर-बसर हो सके, लेकिन हकीकत इससे कोसो दूर है। जिले के श्रम विभाग में 68 हजार से अधिक श्रमिक पंजीकृत हैं, पर इस योजना का लाभ मात्र 13 श्रमिकों को ही मिल रहा है। योजना का ठीक प्रकार से प्रचार-प्रसार नहीं होने से अधिकांश श्रमिक शर्ताें को पूरा नहीं कर पा रहे हैं।

योजना के तहत 60 वर्ष की आयु के बाद मात्र श्रमिकों को एक हजार रुपये मासिक पेंशन दिए जाने का प्रावधान है। नियम है कि श्रमिकों का पंजीकरण उप्र भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार बोर्ड में सदस्य लाभार्थी के रूप में पंजीकरण होना चाहिए। पंजीकरण का लगातार दस साल तक नवीनीकरण कराने के अलावा प्रति वर्ष 20 रुपये अंशदान भी जमा करना होता है। अधिकांश श्रमिक पंजीकरण तो करा लेते हैं, लेकिन अन्य नियमों के जाल में उलझ जाते हैं। जिससे उन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिल पाता है।

'योजना को लेकर प्रचार-प्रसार किया जाता है। लेकिन श्रमिक लगातार अंशदान जमा करने में लापरवाही बरत जाते हैं एवं दूसरे विभागों की पेंशन योजना के लाभार्थी बनकर अपनी पात्रता का उल्लंघन कर देते हैं।'

एके सिंह, सहायक श्रमायुक्त

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