Experiment in Farming: देशी जमीन पर विदेशी फसल, इजराइल का केला, ताईवान का पपीता उगा रहा सुहागनगरी का किसान

Experiment in Farming अंग्रेजी साहित्य में स्नातक किसान दीपांशु ठाकुर ने लिखी खेती की नई इबारत।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Sat, 29 Aug 2020 07:47 PM (IST) Updated:Sat, 29 Aug 2020 07:47 PM (IST)
Experiment in Farming: देशी जमीन पर विदेशी फसल, इजराइल का केला, ताईवान का पपीता उगा रहा सुहागनगरी का किसान
Experiment in Farming: देशी जमीन पर विदेशी फसल, इजराइल का केला, ताईवान का पपीता उगा रहा सुहागनगरी का किसान

फीरोजाबाद, जागरण संवाददाता। खेती को नुकसान का सौदा बताने वाले किसानों के लिए अरांव क्षेत्र के गांव सींगेमई का युवा किसान प्रेरक बन गया है। इंग्लिश लिटरेचर से स्नातक की परीक्षा पास करने वाले किसान के बेटे के नौकरी की तलाश छोड़ खेती में भविष्य की तलाश शुरू की। देसी जमीन पर जब इजराइल का केला और ताईवान का पपीता करने की ठानी तो पहले किसी को भरोसा नहीं हुआ। अब वही युवा किसान फायदे की फसलों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन गया है।

कोरोना के लॉकडाउन में एक तरफ अन्नदाता के चेहरों पर परेशानी नजर आ रही है, वहीं दीपांशु ठाकुर खेत पर उग रहे केले और पपीते को बाजार में भेजने की तैयारी कर रहे हैं। खेती को अपना कैरियर और गूगल को दोस्त बनाकर खेती की नई इबारत लिखने वाले दीपांशु बताते हैं कि सात एकड़ पैत्रक जमीन पर पारंपरिक खेती छोड उन्होंने परिवार के विरोध के बावजूद विदेशी फलों की खेती शुरू की।

इसके लिए महाराष्ट्र से टिशू कल्चर का जी-9 केले और ताईवान के रेड लेडी पपीता की पौध मंगाई। इसके साथ ही थाईलैण्ड का एपल बेर, अनार, मौसमी, नींबू की खेती शुरू की। शुरूआत में थोड़ी परेशानी हुई, लेकिन पहली फसल से ही उन्हें अच्छी कमाई की। इसके बाद परिवार के लोग भी उनके साथ आ गय। दीपांशु ने बताया कि फल के पौधों की दो लाइनों के बीच सात फुट का फासला होता है। ये जगह खाली पड़ी रहती थी। इसमें उन्होंने प्याज की पौध उगाई। इसी तरह फल के दो पौधों के बीच पांच फीट की दूरी रखी जाती है। इसमें उन्होंने तोरई लगा दी। इसकी बेल को बांस बांधकर ऊपर चढ़ा दिया है। जिसमें तोरई प्याज को न ढक सके।

खेत का कोई भाग खाली नहीं छोड़ते

दीपांशु का मैनेजमेंट गजब का है। उन्होनें अपने सात एकड़ के फार्म को आवारा पशुओं से बचाने के लिए कंटीले तारों से तारबंदी की है। इन तारों के किनारे कौंच के औषधीय पौधे उगाए हैं। इसकी बेल तारों पर चढ़ जाती है। कौंच की फलियों के बीज हबैल कंपनी को बेच देते हैं। वहीं मेड़ों पर सहजन के पेड़ लगाए हैं। इनकी पत्तियां, फली और बीच औषधीय कार्यों में उपयोग में लाए जाते हैं।

उद्यान विभाग कर चुका है सम्मानित

दीपांशु ने आधा दर्जन युवाओं को रोजगार मुहैया कराया है। उनके कृषि कार्य को देखने के लिए दूर दूर से किसान आते हैं। वहीं उद्यान विभाग भी उन्हें जिला स्तर पर सम्मानित कर चुका है। 

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