महिलाओं ने दिखाया साहस, बना डाला 400 मीटर मार्ग

ब्लाक क्षेत्र की लालपुर ग्राम पंचायत के मजरे मोहिउद्दीनपुर गांव पहुंचने का मुख्य मार्ग बेहद खराब है। ग्रामीण वर्षों से इस मार्ग को बनवाने की मांग प्रशासन व जनप्रतिनिधियों से कर रहे हैं। बावजूद इस मार्ग का पुरुषाहाल नहीं हुआ। गांव की महिलाओं ने इस मुख्य मार्ग को श्रमदान के सहारे बनाने की ठान ली। पिछले तीन दिनों ने इन महिलाओं ने कच्चा मार्ग बनाना शुरू किया तो गांव के बूढ़े बच्चे व जवान साथ हो लिए और शनिवार को मुख्य मार्ग आवागमन लायक बन गया।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 21 Sep 2019 11:48 PM (IST) Updated:Sun, 22 Sep 2019 06:26 AM (IST)
महिलाओं ने दिखाया साहस, बना डाला 400 मीटर मार्ग
महिलाओं ने दिखाया साहस, बना डाला 400 मीटर मार्ग

संवादसूत्र, हुसेनगंज: ब्लाक क्षेत्र की लालपुर ग्राम पंचायत के मजरे मोहिउद्दीनपुर गांव पहुंचने का मुख्य मार्ग बेहद खराब है। ग्रामीण वर्षों से इस मार्ग को बनवाने की मांग प्रशासन व जनप्रतिनिधियों से कर रहे हैं। बावजूद इस मार्ग का पुरसाहाल नहीं हुआ। गांव की महिलाओं ने इस मुख्य मार्ग को श्रमदान के सहारे बनाने की ठान ली। पिछले तीन दिनों ने इन महिलाओं ने कच्चा मार्ग बनाना शुरू किया तो गांव के बूढ़े, बच्चे व जवान साथ हो लिए और शनिवार को मुख्य मार्ग आवागमन लायक बन गया।

हुसेनगंज से डलमऊ मार्ग में पड़ने वाला मोहिउद्दीनपुर गांव मुख्य मार्ग से पांच किलोमीटर दूर बसा है। गांव पहुंचने के लिए अब भी कच्चा रास्ता ही है। यूं तो करीब साढ़े चार किमी का कच्चा मार्ग चलने लायक है, लेकिन गांव के निकट 400 से 500 मीटर का मार्ग बेहद क्षतिग्रस्त है। बारिश के कारण जल भराव हो जाने से आवागमन किसी मुसीबत से कम नहीं है। अफसरों व नेताओं की चौखट नापकर थक चुके ग्रामीणों ने उम्मीद छोड़ दी थी कि अब इस मार्ग से भी आवागमन होगा, लेकिन यहां की महिलाओं ने साहस दिखाते हुए इसे श्रमदान के जरिए बना डाला। खुद का साहस ही आया काम

गांव के रामस्वरूप, छिट्टन, अमर सिंह, राम मनोहर, दुर्गा प्रसाद, विनोद कुमार का कहना है कि पहले तो वह डीएम व नेताओं के पास जाते रहे, लेकिन गांव की आशा देवी ने हिम्मत भरी और घर-घर महिलाओं से संपर्क कर श्रमदान की पहल की। महिलाएं काम के लिए आगे आई तो पुरूष व बच्चे भी इस काम के हिस्सेदार बन गए। हरीसब्जी है गांव की पहचान

यूं तो गांव गरीबी का दंश झेल रहा है, लेकिन खास बात यह है कि इस गांव का मुख्य व्यवसाय सब्जी-भाजी है और अब यह पेशा इस गांव की पहचान बन चुका है। इस गांव का परवल, मिर्ची, गोभी, पालक, धनिया, कद्दू, लौकी, भिडी आदि की बिक्री लालगंज, रायबरेली और जिले की मंडी तक पहुंचती है।

शौचालय व बिजली कनेक्शन नहीं

गांव के साठ फीसद लोगों के पास आज भी शौचालय नहीं है, इसके अलावा गांव में बिजली तो पहुंच गयी है, लेकिन अधिकांश लोगों के पास अधिकृत कनेक्शन तक नहीं है। ग्रामीण सरकार की योजनाओं का लाभ न मिलने से आहत है। ग्राम प्रधान शबाना बेगम का कहना है कि राज्य वित्त व 14 वां वित्त में धनराशि कम मिलती है, इस कारण मजरों तक विकास नहीं पहुंचा है।

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