तैनाती पद से अधिक पर दवा मिलती सिर्फ जुकाम-बुखार की

संवाद सूत्र बकेवर जिले भर के पीएचसी भले ही चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी से

By JagranEdited By: Publish:Mon, 31 May 2021 07:43 PM (IST) Updated:Mon, 31 May 2021 07:43 PM (IST)
तैनाती पद से अधिक पर दवा मिलती सिर्फ जुकाम-बुखार की
तैनाती पद से अधिक पर दवा मिलती सिर्फ जुकाम-बुखार की

संवाद सूत्र, बकेवर : जिले भर के पीएचसी भले ही चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी से जूझ रहे हों लेकिन पीएचसी देवमई में ऐसा नहीं है। यहां अधिकारियों की कृपा बरस रही है। सृजित पद से अधिक एक-एक चिकित्सक और फार्मेसिस्ट की तैनाती है। हालांकि, फिर भी यहां लोगों को इमरजेंसी सेवा नहीं मिल पा रही है। दुर्घटना में घायल हो या फिर गंभीर कोई बीमार यहां से उसे रेफर करके इतिश्री कर ली जाती है।

ग्रामीण जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए करीब 40 वर्ष पहले देवमई ब्लाक मुख्यालय में पीएचसी स्थापित हुई है। पीएचसी के अंतर्गत 156 गांव आते हैं। इन गांव की 1.67 लाख की आबादी की स्वास्थ्य सेवा पर निर्भर है। गांव में लगातार आबादी बढ़ने के साथ बीमारों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। सीएचसी में संसाधन वही पुराने हैं। जर्जर भवन में चार बेड, दो अलग-अलग कक्ष में संचालित हैं। यहां पर कभी किसी मरीज को भर्ती नहीं किया जाता है। मलहम-पट्टी और प्राथमिक उपचार के बाद रेफर लेटर थमा दिया जाता है। पीएचसी में तैनात तीन चिकित्सकों व तीन फार्मेसिस्ट में दो-दो के ही आवास हैं। चार एएनएम में चारों के पास आवास है। अस्पताल भवन जर्जर हो चुका है।

प्रभारी चिकित्साधिकारी तो अस्पताल समय पर आते हैं, अन्य चिकित्सक व पैरा मेडिकल स्टाफ दो घंटे देर से ही पहुंचता है। इसके बाद अस्पताल बंद होने के बाद फिर निकल जाते हैं। अस्पताल में कोई चिकित्सक नहीं रुकता है जबकि दो एएनएम और दो फार्मेसिस्ट व लैब टेक्नीशियन ने आवास बना रखा है। कारागार मंत्री का क्षेत्र होने के कारण अस्पताल परिसर में सफाई के साथ जर्जर भवन की रंगाई पुताई अलबत्ता हुई है। पीएचसी में स्टाफ की स्थिति

पीएचसी देवमई में डॉ. रघुराज प्रभारी चिकित्साधिकारी हैं। इनके अलावा यहां पर दो और चिकित्सकों की तैनाती है। तीन फार्मेसिस्ट, एक एलटी भी कार्यरत है। स्वीपर कम चौकीदार का पद खाली है। ये हैं संसाधन

पीएचसी में संचालित लैब में खून की जांच में मलेरिया टायफाइड की जांच होती है। प्रसव भी कराए जाते हैं। पीएचसी की कहानी लोगों की जुबानी

ब्लाक की आबादी बढ़ी है, पर पीएचसी की सुविधाओं में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। यहां पर डाक्टर बढ़ाने ही क्या होगा। जब तक जांच के लिए मशीनें और एक्स-रे की सुविधा नहीं होगी।

गणेश यादव देवमई दुर्घटना में घायल को केवल प्राथमिक उपचार मिल पाता है। यहां जिला मुख्यालय 60 किमी दूर है। पीएचसी से मरीज जहानाबाद या फिर बिदकी सीएचसी जाते हैं। यहां से भी रेफर ही किया जाता है।

अन्न सिंह बसिगवां किसी ने भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में सुविधाएं बढ़ाने की ओर ध्यान नहीं दिया है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में रोगों की जांच की सुविधा सही मिले तो ग्रामीणों को बड़ी राहत मिल जाए।

धनवान सिंह बसिगवां प्रसव केंद्र पर भी नार्मल डिलेवरी ही हो पाती है। सिर्फ एएनएम के भरोसे प्रसव केंद्र संचालित कराना बेमानी ही है। कहने को सुविधा है, पर यहां कोई समस्या हो जाए तो बिना डॉक्टर के गर्भवती महिला की जान पर बन आती है।

विनोद कुमार बेता पीएचसी की व्यवस्थाओं में सुधार के प्रयास किए जा रहे हैं। ताकि यहां आने वाले मरीजों को बेहतर सेवाएं मिल सकें। इसके लिए समय-समय कर्मियों को निर्देश दिए जाते हैं।

डॉ. गोपाल माहेश्वरी, सीएमओ

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