सादगी से मनाई दिवाली तो दिल को मिली खुशियाली

फतेहपुर, जागरण संवाददाता: उमंग उत्साह के बीच लोगो ने खुशियों के दीप जलाए। आतिशबाजी और बूमा बूम के हट

By Edited By: Publish:Thu, 23 Oct 2014 07:29 PM (IST) Updated:Thu, 23 Oct 2014 07:29 PM (IST)
सादगी से मनाई दिवाली तो दिल को मिली खुशियाली

फतेहपुर, जागरण संवाददाता: उमंग उत्साह के बीच लोगो ने खुशियों के दीप जलाए। आतिशबाजी और बूमा बूम के हटकर अनेक लोगो ने दीप मालिका पर्व को सादगी पूर्ण ढंग से मनाकर खुशियां बटोरी। पटाखों से दूर रहे तो घर-परिवार के बुजुर्गो का चरण छूकर आशीष लिया। बच्चों को बुराई पर अच्छाई की जीत की सच्चाई बताकर सीख दी। ऐसे ही लोगों के बीच जाकर दैनिक जागरण ने उनकी दीवाली के बारे में जाना-किसने किस प्रकार दीपावली मनाई आइए जानते है लोगो की जुबानी..

'दीपावली का पर्व खुशियों का पर्व है, खुशियों की सतरंगी छटा जब आस मान में बिखरी है तो उन्हें पटाखों और आतिशबाजी से क्यो प्रभावित किया जाए। मैने सिर्फ दीप जलाकर रोशनी कर त्योहार मनाया। मुझे बेहद सुखद अनुभव हुआ।'

विनोद श्रीवास्तव

'खुशियां मनाने और उन्हें साझा करने का मजा ही कुछ अलग है। खुशी के पलों में शोर शराबा गलत है। मैने घर में दीप जलाए, रोशनी फैलाई और बुजुर्गो के बीच पहुंचकर उनका आशीष लिया। ऐसा करने से मेरा दिल खुशहाली से बाग बाग हो गया।'

राजसेन श्रीवास्तव

'दीप से दीप जलाकर सभी प्रकार की नफरत को बुलाकर सब मिलकर दीपावली का पर्व मनाएं ऐसा मेरा माना है। मैने इस बार पर्व को अपनी तरह से मनाया। न बूमा बूम ना ही आतिश बाजी सिर्फ सादे परिवेश में घर में अच्छे पकवान बनाए, खुद खाया और लोगों को खिलाया। मुझे ऐसा करने में बेहद सुखद अनुभव हुआ।'

रेनू मिश्रा

'मैने अपने घर को रोशन किया, पूजा स्थल और सार्वजनिक स्थलों को रोशन किया। उन स्थानों में रोशनी फैलाई जहां पर कोई एक दीप तक नहीं चलाता। ऐसा करने से मेरे दिल को खुशहाली मिली। मुझे लगता है ऐसा करने से मुझे बेहद खुशी मिली'

विद्याभूषण तिवारी

'मुझे दीपावली में शोरगुल बचपन से पसंद नहीं है। मै हमेशा से इससे दूसर रहता है इस दीवाली भी मैने यही किया। घर को रोशन कर दीपावली मनाई मुझे इससे खुशी मिली। खुशी का मतलब सिर्फ पटाखे फोड़ना ही नहीं है। '

आशीष दीक्षित

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