अनुशासन व पढ़ाई को लगा बंट्टा

By Edited By: Publish:Fri, 01 Aug 2014 01:00 AM (IST) Updated:Fri, 01 Aug 2014 01:00 AM (IST)
अनुशासन व पढ़ाई को लगा बंट्टा

बिंदकी, संवाद सहयोगी : कभी शिक्षा के शिखर को चूमने वाला दयानंद शिक्षण संस्थान अर्श से फर्श पर पहुंच रहा है। उत्तरोत्तर प्रगति की कौन कहे हर व्यवस्था में ब्रेक लग रहा है। शिक्षा व्यवस्था का तानाबाना शिक्षकों की कमी के चलते चरमरा गया है। साख को बचाने के सारे जतन साकार नहीं हो रहे हैं। गनीमत है कि हजार छात्रों के प्रवेश होने के चलते छात्र संख्या में अलबत्ता कमी नहीं आई है। जबकि शिक्षकों की धड़ाधड़ कमी होती जा रही है। चतुर्थ श्रेणी के आधे पद खाली पड़े हुए हैं।

नब्बे के दशक तक दयानंद इंटर कालेज के अनुशासन व पढ़ाई का डंका बजता था। लगातार शिक्षक सेवानिवृत्त होते गए जिस कारण शिक्षा का स्तर कमजोर पड़ा। कालेज की पुरानी साख को बट्टा लगना शुरू हो गया। हालांकि अंशकालिक और व्यावसायिक शिक्षकों के सहारे किसी तरह से अपनी पुरानी साख को बनाएं रखने का जतन किया जा रहा है। कई सालों से प्रवक्ता और एलटी ग्रेड शिक्षकों की भारी कमी के कारण पढ़ाई में प्रभाव पढ़ा है। कालेज में प्रवक्ता के 10 पद सृजित है। इनमें 6 पद रिक्त है। अंग्रेजी, हिन्दी, संस्कृत, अर्थशास्त्र, इतिहास, शिक्षाशास्त्र विषयों में प्रवक्ता नहीं है। एलटी ग्रेड में 20 पद है जिनमें 12 पद खाली है। हाईस्कूल कक्षाओं में गणित, अंग्रेजी, जीव-विज्ञान सहित कई प्रमुख विषयों के पढ़ाने के लिए शिक्षक ही नहीं है। हालांकि 4 अंशकालिक शिक्षक और कालेज में पढ़ा रहे 4 व्यवसायिक शिक्षकों के द्वारा पढ़ाई कराई जाती है। शिक्षकों की कमी शिक्षण कार्य को प्रभावित करने से कोई प्रयास रोक नहीं पा रहा है। जिसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। हर साल शिक्षकों की कमी का अधियाचन भेजकर कॉलेज प्रशासन को चुप्पी साधनी पड़ती है।

जीव-विज्ञान सवित्त मान्यता नहीं

आजादी से पूर्व के स्थापित कॉलेज में समस्याओं का आलम यह है कि कक्षा 12 में जीव विज्ञान की सवित्त मान्यता प्रबंध तंत्र नहीं दिला सका है। वित्तविहीन की तर्ज पर शिक्षक की व्यवस्था करके छात्रों को शिक्षा दी जा रही है। अभिभावकों और विद्यालय के शुभचिंतकों को यह कमी खासी अखरती है। अभिभावकों का कहना है कि प्रबंधतंत्र को उचित पैरवी करके मान्यता के लिए सार्थक प्रयास करने चाहिए।

नाम दयानंद का तो काम भी

कॉलेज को संचालित करने का जिम्मा आर्य समाजी लोग उठाते हैं। स्वामी दयानंद सरस्वती जी के आदर्शो और सिद्धांतों पर विद्यालय को संचालित किया जाता है।

खेल गतिविधियां रहती थी शून्य

कॉलेज में खेल गतिविधियां शून्य रहती है। कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी। लंबे समय से संचालित हो रहे कॉलेज में खेल के प्रति ज्यादा रुचि कभी नहीं दिखाई दी। अगर रुचि दिखाई होती तो कॉलेज का खेल मैदान दुरुस्त होता। कॉलेज प्रशासन को अब सुधि आई है। हाल ही में कॉलेज से 500 मीटर की दूरी पर फतेहपुर रोड में पड़े खेल मैदान का समतलीकरण कराया गया है।

'कालेज की साख को बराबर बनाएं रखने के लिए शिक्षकों की कमी के बावजूद अंशकालिक शिक्षकों से पढ़ाई कराकर छात्रों का कोर्स पूरा कराया जाता है। शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए जून माह में ही लेटर उच्चाधिकारियों को भेजा जा चुका है। आशा है कि जल्द शिक्षकों की कमी पूरी हो जाएगी'

ओपी बाजपेई, प्रधानाचार्य, दयानंद इण्टर कालेज बिंदकी

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