कोतवाल का हत्यारा जानलेवा हमले के मामले में बरी

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : पुलिस अपनों के मामले में भी सजग नहीं है। चार वर्ष पहले पूर्व सभासद पर

By JagranEdited By: Publish:Fri, 16 Nov 2018 10:32 PM (IST) Updated:Fri, 16 Nov 2018 10:32 PM (IST)
कोतवाल का हत्यारा जानलेवा हमले के मामले में बरी
कोतवाल का हत्यारा जानलेवा हमले के मामले में बरी

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : पुलिस अपनों के मामले में भी सजग नहीं है। चार वर्ष पहले पूर्व सभासद पर हुए जानलेवा हमले में आरोपित के खिलाफ पुलिस सबूत नहीं जुटा सकी। इसी मामले में दबिश के दौरान आरोपित ने शहर कोतवाल की गोली मारकर हत्या कर दी थी और उसे फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। जानलेवा हमले के मामले में अपर जिला सत्र न्यायाधीश अरुण कुमार मिश्रा ने आरोपित को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है।

आवास विकास कालोनी निवासी गौरव कटियार उर्फ बंटी ने 28 नवंबर 2014 को कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि उनके बहनोई पूर्व सभासद राकेश ¨सह गंगवार से एक अज्ञात व्यक्ति का विवाद हो गया। फाय¨रग में बहनोई घायल हो गए। मुकदमे के विवेचक तत्कालीन दारोगा कौशलेंद्र कुमार गौतम ने 16 दिसंबर 2014 को बाग लकूला निवासी चंद्रप्रकाश उर्फ पप्पू कोरी के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया। न्यायालय में सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष आरोपित के खिलाफ ठोस सबूत नहीं जुटा सका। जिला शासकीय अधिवक्ता शैलेंद्र ¨सह चौहान व बचाव पक्ष के अधिवक्ता राजेंद्र ¨सह कटियार की दलीलें सुनने के बाद पप्पू कोरी को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया।

शहर कोतवाल की हत्या में मिला था मृत्युदंड

प र्व सभासद पर जानलेवा हमले के मामले में दबिश के दौरान 29 नवंबर 2014 को शहर कोतवाल राजकुमार ¨सह को पप्पू कोरी ने गोली मार दी थी। इलाज के लिए लाते समय उनकी मौत हो गई थी। इस मामले में तत्कालीन जनपद न्यायाधीश राजन चौधरी ने 30 मार्च 2015 को पप्पू कोरी को मृत्युदंड व जुर्माने की सजा से दंडित किया था। आदेश के खिलाफ पप्पू कोरी ने उच्च न्यायालय में अपील की। उच्च न्यायालय ने भी सजा यथावत रखी। बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय में अपील स्वीकार कर ली गई है। जानलेवा हमले में पप्पू को बरी किया गया है।

विवेचना में लापरवाही पर भेजा गया था गृहसचिव व डीजीपी को पत्र

शहर कोतवाल की हत्या के मामले में पूर्व जनपद न्यायाधीश द्वारा सुनाए गए फैसले में विवेचना की कमियों को उजागर करते हुए गृहसचिव व डीजीपी को विवेचक के खिलाफ कार्रवाई के लिए पत्र भेजा गया था। बावजूद इसके विवेचक ने अपना रवैया नहीं बदला। जानलेवा हमले के आरोपित के खिलाफ सबूत नहीं जुटाने पर उसे संदेह का लाभ मिल गया।

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