फसल देख कराह उठे किसान, बाढ़ में बहे अरमान

संवाद सहयोगी अमृतपुर (फर्रुखाबाद) प्राकृतिक संपदा असंतुलित दोहन से जीवनदायिनी व खुशहाली की

By JagranEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 05:45 PM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 05:45 PM (IST)
फसल देख कराह उठे किसान, बाढ़ में बहे अरमान
फसल देख कराह उठे किसान, बाढ़ में बहे अरमान

संवाद सहयोगी, अमृतपुर (फर्रुखाबाद) : प्राकृतिक संपदा असंतुलित दोहन से जीवनदायिनी व खुशहाली की प्रतीक नदियां जैव समुदाय के लिए खतरा बन गई हैं। पहले बेमौसम मूसलाधार बरसात फिर गंगा और रामगंगा की बाढ़ ने किसान को बर्बाद कर दिया है। दो दिन से जलस्तर में गिरावट के बाद जब बाढ़ में डूबी फसल को सूरज की रोशनी मिली, तो किसान दुर्दशा देख कराह उठे। गंगा और रामगंगा की बाढ़ उनके अरमानों को बहा ले गई है। पांच माह में पांच बार गंगा उफनाई और दस वर्ष बाद रामगंगा ने रौद्र रूप दिखा दिया।

अमृतपुर तहसील क्षेत्र के खेत में गन्ना, धान, तिल, बाजरा व मेंथा की हजारों एकड़ फसल तैयार खड़ी थी।किसानों ने बैंक से किसान क्रेडिट कार्ड व दुकानों पर उधार लेकर कड़ी मेहनत से फसल तैयार की थी। खेत में खड़ी तैयार फसल देख किसान खुश थे। किसानों ने खेतों में आलू व सरसों की बोवाई कर दी। किसान रबी की बोवाई में ही जुटा था, लेकिन दो दिन हुई बेमौसम बरसात ने किसान को तबाह कर दिया। तभी गंगा और रामगंगा भी उफान भरने लगी। गंगा और रामगंगा की बाढ़ में क्षेत्र के अधिकांश खेत जलमग्न हो गए। बाढ़ का पानी खेतों में भर जाने से खेत में तैयार खड़ी फसलें खराब हो गईं और बोई गई फसल भी नष्ट हो गई। अब खेतों में अधिक नमी होने या बाढ़ का पानी भरा होने से बोवाई भी बाधित हो गई है।

----- किसानों का दर्द

'तीन एकड़ गन्ना की फसल खेत में बोई थी। गंगा जून से अब तक पांच बार उफना चुकी हैं। गंगा की बाढ़ का पानी बार बार खेत में भरने से गन्ना की फसल खराब हो गई है।'

- सर्वेश सिंह, गांव अंबरपुर की मड़ैया।

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'बैंक से कर्ज लेकर दो एकड़ धान की फसल की। धान की फसल खेत में पककर तैयार खड़ी थी, लेकिन बेमौसम बरसात से धान की फसल गिरकर जमीन में बिछ गई। फिर गंगा की बाढ़ का पानी भर जाने से धान की फसल खराब हो गई।'

- इंद्रपाल सिंह, गांव अंबरपुर की मड़ैया।

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'गंगा की धार से पहले गांव कट चुका है। अब कृषि भूमि कट रही है। खेत में धान की फसल तैयार खड़ी थी, लेकिन बरसात और बाढ़ में फसल खराब हो गई। खेत में बाढ़ का पानी भरा होने से आलू की बोवाई बाधित हो गई। बाढ़ तो सारे अरमान ही बहा ले गई।'

- मंजीत कुमार, गांव तीसराम की मड़ैया।

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'डेढ़ एकड़ मेंथा की खेती थी, लेकिन जून में ही बाढ़ आ गई। जिससे फसल पहले ही काटनी पड़ी। तेल कम निकलने से लागत नहीं मिल सकी। अब पेड़ी तैयार थी, लेकिन बरसात और बाढ़ ने फसल ही खराब कर दी है।'

- संजीव कुमार, गांव तीसराम की मड़ैया।

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