संस्कृति व अध्यात्म का समागम, धर्म की जय जयकार

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : माघ मेला रामनगरिया में गंगा तीरे संस्कृति व अध्यात्म का समागम हो

By JagranEdited By: Publish:Tue, 12 Feb 2019 11:18 PM (IST) Updated:Tue, 12 Feb 2019 11:18 PM (IST)
संस्कृति व अध्यात्म का समागम, धर्म की जय जयकार
संस्कृति व अध्यात्म का समागम, धर्म की जय जयकार

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : माघ मेला रामनगरिया में गंगा तीरे संस्कृति व अध्यात्म का समागम हो रहा है। धर्म की जय जयकार हो रही। साहित्य की वंशी बज रही तो अन्नदाताओं की बेहतरी के लिए उन्नत कृषि व सहकारिता की भी अलख जग रही।

पौष पूर्णिमा, मौनी अमावस्या व बसंत पंचमी के महास्नान के बाद कल्पवास नगरी रामनगरिया में सांस्कृतिक छवि और अधिक निखर गई। अध्यात्म की धारा गहरा गई। मंगलवार को न स्नान पर्व था और न ही कोई सार्वजनिक अवकाश, बावजूद इसके रामनगरी पूरे उल्लास से सराबोर रही। घाटों पर स्नानार्थियों की भीड़ को पास आती लहरें पुण्य प्रताप पाने के लिए उद्वेलित करती रहीं। गंगा पूजन, कथा प्रवचन, संत सानिध्य, सरोकारों की दीक्षा सब कुछ तो है यहां। यह सब पाकर धन्य होते रहे श्रद्धालुजन। मेले के अन्न क्षेत्र में चले भंडारे श्रद्धालुओं व मेलार्थियों का सहारा बने। प्रशासनिक क्षेत्र के साथ ही संत आश्रमों में भी प्रसाद ग्रहण करने को पंगत बनी रहीं। ओजस वेद मंत्रों से गूंजती रही दिशाएं

वैदिक क्षेत्र में प्रात:कालीन बेला में विशाल यज्ञ हुआ। ओजस मंत्रों से दिशाएं गूंजती रहीं। हवन वेदी से निकल रहे ज्वार से वातावरण सुगंधित होता रहा। आर्य समाज के प्रधान आचार्य चंद्रदेव शास्त्री ने बटुकों को दीक्षा दी। समाज व राष्ट्र रक्षा का संकल्प दिलाया। बरेली के सत्यदेव शर्मा, शिवनारायण आर्य, सुधांशु आर्य, सुरेश आर्य मौजूद रहे। उदिता आर्य ने भजनों की माला पिरोई। गरीबी से उबारती सहकारिता

सहकारिता गरीबी से उबारती है। जो किसान अपने साधनों का समुचित उपयोग नहीं कर पाते, उनके लिए सहकारिता से जुड़ना परेशानियों से निजात पाना जैसा है। खेती के सीमित होते जा रहे लाभ को देखते हुए सहकारिता के द्वारा मदद के उपाए बढ़ाना आज की जरूरत है। मेले के सांस्कृतिक पंडाल में आयोजित कृषि एवं सहकारिता सम्मेलन में यही विचार उभरे। मुख्य अतिथि पैक्स फेड लखनऊ के निदेशक भारत ¨सह ने कहा कि सहकारिता के द्वारा आधुनिक कृषि तकनीकों का किसानों को अधिक लाभ दिलाया जाना चाहिए। सहायक निबंधक पंकज श्रीवास्तव, राजवीर ¨सह, डा.संजय ¨सह, डा.अजय ¨सह, भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ संयोजक डीसी मिश्रा, जगदीश कटियार ने भी विचार रखे। सब मुल्कों में अव्वल ¨हदुस्तान चाहिए

स्थानीय कवि सम्मेलन में राष्ट्र भक्ति की रचनाओं ने समां बांधा। अनिल मिश्रा ने 'सब मुल्कों से अव्वल ¨हदुस्तान चाहिए' रचना से देश प्रेम का भाव जगाया। धौलपुर राजस्थान के लालबत्ती मैनपुरी ने 'राजनीति के गलियारे में सभी उघारे लगते हैं' से राजनीति के दिखावटी चेहरे से रूबरू कराया। उपकार मणि उपकार ने 'मोहब्बत में नफा नुकसान तो होता ही रहता' रचना से वाहवाही पाई। महेश पाल ¨सह, प्रीति पवन तिवारी, डा.निराला राही, स्मृति अग्निहोत्री, सृजन त्रिवेदी, गीता भारद्वाज, निमिष टंडन, जय, निमिष्ट टंडन, डा.संतोष व दिनेश अवस्थी ने भी काव्य पाठ किया। स्थानीय कवि सम्मेलन में किसी अधिकारी के मौजूद न रहने पर साहित्यकारों ने रोष्ट प्रकट किया।

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