लॉकडाउन में फिर लौटा वस्तु विनिमय का दौर

कोरोना वायरस से बचाव के लिए लागू लॉकडाउन ने जहां लोगों को सादा जीवन जीने के लिए प्रेरित किया वहीं पुरानी जीवन शैली भी परवान चढ़ने लगी। रुपयों के अभाव में वस्तु विनियम का दौर भी चल निकला। महामारी के प्रकोप के चलते दिल्ली हरियाणा राजस्थान से सैकड़ों मजदूर गांवों में आ गए। रोजी-रोटी की दिक्कत होने पर यह लोग स्वजनों के साथ खेतों में गेहूं की कटाई का काम करने लगे। कटाई की मजदूरी के बदले मिले अनाज को देकर घरेलू सामान व सब्जी खरीद रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 27 Apr 2020 11:22 PM (IST) Updated:Tue, 28 Apr 2020 06:06 AM (IST)
लॉकडाउन में फिर लौटा वस्तु विनिमय का दौर
लॉकडाउन में फिर लौटा वस्तु विनिमय का दौर

संवाद सूत्र, मोहम्मदाबाद : कोरोना वायरस से बचाव के लिए लागू लॉकडाउन ने जहां लोगों को सादा जीवन जीने के लिए प्रेरित किया, वहीं पुरानी जीवन शैली भी परवान चढ़ने लगी। रुपयों के अभाव में वस्तु विनियम का दौर भी चल निकला। महामारी के प्रकोप के चलते दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान से सैकड़ों मजदूर गांवों में आ गए। रोजी-रोटी की दिक्कत होने पर यह लोग स्वजनों के साथ खेतों में गेहूं की कटाई का काम करने लगे। कटाई की मजदूरी के बदले मिले अनाज को देकर घरेलू सामान व सब्जी खरीद रहे हैं।

लॉकडाउन से साप्ताहिक बाजार बंद होने के कारण दुकानदार ठेली पर सब्जी आदि सामान लेकर गांवों में पहुंच रहे हैं। ग्रामीण वस्तु विनिमय प्रणाली के आधार पर अनाज के बदले रोजमर्रा का सामान खरीदते हैं। ठेली से सब्जी खरीद रहीं मदनपुर निवासी कांती देवी, कुसुमा देवी ने बताया कि मजदूरी के बदले उनको अनाज मिलता है। रुपये न होने के कारण वह लोग अनाज के बदले आवश्यकता का सामान खरीद लेती हैं। सब्जी विक्रेता चंदन व नानकराम ने बताया कि 16 रुपये किलो गेहूं लेकर बदले में सब्जी बेच रहे हैं। जबकि बाजार में 17 से 18 रुपये किलो में गेहूं बिक रहा है। गांव के ही निवासी मजदूर गप्पे कठेरिया, जुगाड़ीराम ने बताया कि लॉकडाउन के कारण बाजार नहीं जा पाते। मजदूरी में जो अनाज मिलता है उसी से सब्जी व अन्य सामान खरीदते हैं।

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