सजा कीर्तन दरबार, 'सरबत्र दा भला' की अरदास, हापुड़ से आए रागी जत्थे

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : सिक्ख धर्म के संस्थापक व पहले गुरु गुरुनानक देव जी महाराज के 550

By JagranEdited By: Publish:Sun, 02 Dec 2018 10:24 PM (IST) Updated:Sun, 02 Dec 2018 10:24 PM (IST)
सजा कीर्तन दरबार, 'सरबत्र दा भला' की अरदास, हापुड़ से आए रागी जत्थे
सजा कीर्तन दरबार, 'सरबत्र दा भला' की अरदास, हापुड़ से आए रागी जत्थे

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : सिक्ख धर्म के संस्थापक व पहले गुरु गुरुनानक देव जी महाराज के 550वें प्रकाशोत्सव पर्व के समापन पर रविवार को गुरुद्वारा ¨सह सभा में कीर्तन दरबार सजा। अरदास में 'सरबत्र दा भला' यानी सबके कल्याण की कामना की गई। श्रद्धालुओं ने लंगर छका।

फतेहगढ़ स्थित गुरुद्वारा ¨सह सभा में प्रकाशोत्सव पर्व के समापन अवसर पर सुबह नितनेम साहिब का पाठ ज्ञानी बलवंत ¨सह ने किया। गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी व सिख संगत की ओर से अटूट लंगर चला। इस अवसर पर अमृतसर से आए प्रचारक देवेंद्र पाल ¨सह ने गुरु नानक जी के जीवन पर प्रकाश डाला और सुंदर 'तोरे बिन कौन मेरा' कीर्तन सुनाया। रागी जत्था हापुड़ से यहां आए भाई ब्रह्म ¨सह ने गुरु का गुणगान किया। बरेली के सेंटफ्रांसिस स्कूल के कक्षा दो के छात्र जपदीप ¨सह ने 'नानक आया चरना धोए रहरास कर, चरणामृत सिक्खा पिलाया' कीर्तन किया। फर्रुखाबाद के ज्ञानी गुरबचन ¨सह व फतेहगढ़ के ज्ञानी बलवंत ¨सह ने भी सबद-ीर्तन में भाग लिया। इस दौरान शनिवार को निकली शोभायात्रा में सेवाओं के लिए भक्तों को गुरुद्वारे में सरोपा भेंट कर सम्मानित किया गया। कन्नौज से रंजीत ¨सह, छिबरामऊ से सतेंद्र ¨सह, बलवीर ¨सह, गुरबीर ¨सह, रूपापुर से दिलबाग ¨सह सिख संगत के साथ आए और गुरु चरणों में शीश नवाया। सरदार बाबू ¨सह गिल, हरमीत ¨सह, राजेंद्र ¨सह, प्रभु दयाल ¨सह, माइकल ¨सह एवं जगजीत ¨सह, ले. बल¨वदर ¨सह, कैप्टन डा. केके ¨सह, महिला संगत से रोमी, ¨पकी, गुरमीत कौर आदि सेवा में लगे रहे। देर शाम तक चले लंगर में सिख संगत के अलावा अन्य धर्मों के लोगों ने भी प्रसाद ग्रहण किया।

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