सिपाही को वर्दी तक के हैं लाले

फर्रुखाबाद, जागरण संवाददाता : साफ कड़क वर्दी पुलिस विभाग में अनुशासन और शान की पहचान मानी जाती है। सर

By Edited By: Publish:Wed, 29 Jul 2015 07:31 PM (IST) Updated:Wed, 29 Jul 2015 07:31 PM (IST)
सिपाही को वर्दी तक के हैं लाले

फर्रुखाबाद, जागरण संवाददाता : साफ कड़क वर्दी पुलिस विभाग में अनुशासन और शान की पहचान मानी जाती है। सर्दी हो या गर्मी पुलिस को ड्यूटी पर हमेशा वर्दी में ही रहना होता है। लेकिन जनपद के 1110 सिपाही व हेड-कांस्टेबिल को वर्दी के लिए नाम मात्र का मिलने वाला भत्ता भी तीन साल से नसीब नहीं हुआ है। सिपाही अपनी वर्दी, बेल्ट व बिल्लों के लिए भी जुगाड़ करते हैं।

शासन की ओर से प्रधान आरक्षी को प्रति वर्ष 1800 रुपये का वर्दी भत्ता तय है। जबकि निरीक्षक व उप निरीक्षकों को पांच वर्ष में 6 हजार रुपये का वर्दी भत्ता मिलता है। मंहगाई के दौर में यह धनराशि ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। नागरिक पुलिस के 700 आरक्षी, 150 प्रधान आरक्षी, सशस्त्र पुलिस के 210 आरक्षी व 50 प्रधान आरक्षियों को वित्तीय वर्ष 2013-14 से अब तक वर्दी भत्ता नहीं मिला है। पुलिस कर्मियों के अनुसार गर्मी के मौसम की एक वर्दी 1600 रुपये में तैयार होती है, जबकि सर्दी की वर्दी में करीब 2700 रुपये लग जाते हैं। जूते, मोजे, बेल्ट व बिल्ले आदि में लगभग दो-ढाई हजार रुपये अलग से खर्च होते हैं।

छह वर्ष पहले तक पुलिस कर्मियों को विभाग से मुफ्त यूनीफार्म किट दी जाती थी। जिसमें 3 जोड़ी सूती, 2 जोड़ी टेरीकाट की व एक जोड़ी गर्म पैंट-शर्ट के अलावा साफा, बिल्ले, तीन जोड़ी जूते, एक ओवर कोट, जर्सी, कारतूस रखने की पेटी आदि होती थी। लेकिन बाद में किट के स्थान पर नियत भत्ता दिया जाने लगा। हालांकि छह वर्ष में एक बार गर्म जर्सी दिए जाने का प्राविधान अभी भी लागू है।

अपर पुलिस अधीक्षक राम भवन चौरसिया ने बताया कि वर्दी भत्ते के बजट के लिए पत्राचार किया गया है। समय-समय पर मंहगाई के दौर में उच्चाधिकारियों के साथ बैठक में वर्दी भत्ता बढ़ाने की बात रखी जाती है। निर्णय शासन के हाथ में है।

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