गलियों में भरा पानी, झूल रहीं विद्युत केबिलें

लाखों खर्च के बाद भी शहर के अधिकांश मुहल्लों के हालात नहीं सुधर पा रहे। कहीं बिजली की सप्लाई है तो पोल नहीं लगे हैं। नालियां बनी हैं तो पानी के निकास की व्यवस्था नहीं की गई। ऐसे में जहां मच्छरों का प्रकोप गहरा रहा है। वहीं विद्युत पोल न होने से घरों के छज्जों से झूल रहीं विद्युत केबिलें समस्या का सबब बन रहीं हैं। इसे लेकर मुहल्लावासियों में पालिका की अव्यस्थाओं के प्रति गहरा रोष व्याप्त है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 25 Mar 2019 11:03 PM (IST) Updated:Mon, 25 Mar 2019 11:03 PM (IST)
गलियों में भरा पानी, झूल रहीं विद्युत केबिलें
गलियों में भरा पानी, झूल रहीं विद्युत केबिलें

एटा, जासं। लाखों खर्च के बाद भी शहर के अधिकांश मुहल्लों के हालात नहीं सुधर पा रहे। कहीं बिजली की सप्लाई है तो पोल नहीं लगे हैं। नालियां बनी हैं तो पानी के निकास की व्यवस्था नहीं की गई। ऐसे में जहां मच्छरों का प्रकोप गहरा रहा है। वहीं विद्युत पोल न होने से घरों के छज्जों से झूल रहीं विद्युत केबिलें समस्या का सबब बन रहीं हैं। इसे लेकर मुहल्लावासियों में पालिका की अव्यस्थाओं के प्रति गहरा रोष व्याप्त है।

नगरीय निकाय एटा के अतंर्गत वार्ड 3 से लगे मुहल्ला शिवओमपुरी के हालात कुछ ऐसे ही हैं। जवाहरलाल नेहरू महाविद्यालय के सामने स्थित इस कॉलोनी में रिहायश हुए करीब डेढ़ दशक से ऊपर हो गया है। गलियां इंटरलॉक हैं। मगर नालियां कुछ इस तरह बनी हैं कि घरों से निकलने वाला पानी आगे बढ़ने की बजाय पीछे की ओर बैक मार रहा है। जिससे नालियां उफन रही हैं और गलियों में पानी बह रहा है। अभी गर्मी में यह हाल है, वर्षा में क्या होगा? इसे सोचकर मुहल्लावासी खासे परेशान हैं। सबसे बड़ी परेशानी तो इस बात की है कि विद्युत पोल न होने के कारण यहां अधिकांश घरों के छज्जों पर केबिलें झूल रहीं हैं। वर्षा के दिनों में इन केबिलों में लगे कट से करंट घरों की दीवारों में दौड़ने लगता है। रात्रि के दौरान सिर को छूते तार भी यहां के लोगों में अनहोनी की आशंका बढ़ा रहे हैं।

कहते हैं लोग

-नालों के चोक होने और पानी का बहाव न होने से जलभराव की समस्या बढ़ती जा रही है। आशादेवी

-विद्युत तारों को बांस बल्ली पर बांधकर भी स्थानीय समस्या से निजात नही पा सके हैं। मालती देवी

-लाखों की धनराशि खर्च करने के बाद भी विद्युत विभाग ने विद्युत पोल लगवाया जाना उचित नही समझा। श्रीचंद्र

-मुहल्लावासियों ने अपने निजी बजट से क्षतिग्रस्त गलियों की मरम्मत कराकर आवागमन लायक बनाया है। पुष्पेंद्र सिंह

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