अतीक अहमद मामला: यूपी सरकार की रिपोर्ट पर 23 अप्रैल को विचार करेगा सुप्रीम कोर्ट
शीर्ष कोर्ट में भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने जनहित याचिका दायर कर रखी है।
नई दिल्ली (पीटीआइ)। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जेल में बंद पूर्व सांसद अतीक अहमद द्वारा एक कारोबारी का कथित रूप से अपहरण कराने और उसपर किए गए हमले के संबंध में उत्तर प्रदेश सरकार की रिपोर्ट पर 23 अप्रैल को विचार करेगा।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ को वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट का संकेत है कि अहमद द्वारा कारोबारी का अपहरण कराया गया था। मामले में एमिकस क्यूरी के रूप में मदद कर रहे हंसारिया ने कहा कि रिपोर्ट में पाया गया है कि जेल परिसर का सीसीटीवी उस अवधि में काम नहीं कर रहा था। जेल मैनुअल का पालन भी नहीं किया गया था। इसके बाद पीठ ने कहा, 'हम रिपोर्ट पर 23 अप्रैल को विचार करेंगे।'
शीर्ष कोर्ट में भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने जनहित याचिका दायर कर रखी है। उन्होंने आपराधिक मामले में दोषी करार दिए गए राजनेताओं पर ताउम्र प्रतिबंध लगाने और जनप्रतिनिधियों से संबंधित मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए विशेष कोर्ट गठित करने की मांग की है। इसी याचिका पर कोर्ट सुनवाई कर रहा है।
पूर्व की सुनवाई में कोर्ट को हंसारिया ने बताया था कि पूर्व सांसद के खिलाफ 20 से ज्यादा गंभीर आपराधिक मामले लंबित हैं और उसने जेल से कारोबारी का अपहरण करने का दुस्साहस किया था। उत्तर प्रदेश प्रशासन ने हाल ही में देवरिया जेल में छापामारी की। रियल एस्टेट कारोबारी मोहित जायसवाल की ओर से 28 दिसंबर 2018 को एफआइआर दर्ज कराने के बाद इसी जेल में अतीक को रखा गया था। राज्य सरकार ने बाद में पूर्व सांसद को बरेली जिला जेल स्थानांतरित करने का आदेश दिया।
जायसवाल ने आरोप लगाया है कि उसे लखनऊ से अपहरण कर जेल ले जाया गया जहां उसपर अतीक और उसके सहयोगियों ने हमला किया था। उसे अपना कारोबार उन्हें सौंपने के लिए बाध्य किया गया।