ग्रामोदय मेला में लोक संस्कृति का संगम

जागरण संवाददाता, चित्रकूट : ग्रामोदय मेले में ग्रामीण भारत के दर्शन कराने में लोक संस्कृति भी अहम है

By JagranEdited By: Publish:Fri, 24 Feb 2017 09:14 PM (IST) Updated:Fri, 24 Feb 2017 09:14 PM (IST)
ग्रामोदय मेला में लोक संस्कृति का संगम
ग्रामोदय मेला में लोक संस्कृति का संगम

जागरण संवाददाता, चित्रकूट : ग्रामोदय मेले में ग्रामीण भारत के दर्शन कराने में लोक संस्कृति भी अहम है। इंदिरा गांधी राष्टीय कला केन्द्र के 250 लोक कलाकार का एक दल भेजा है जो देश के कई प्रदेश की लोक कलाकारों का समूह है। चार दिन यह कलाकार अपने-अपने प्रदेश की खुशबू को मेला में बिखेरने का काम करेंगे। उद्घाटन सत्र में हिमांचल, केरल, तमिलनाडू, उत्तराखंड, गुजरात, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, बुंदेलखंड आदि की संस्कृति का संगम देखने को मिला। अनेकता में एकता की छटा पूरे धर्मनगरी में दिखी। रामघाट से जानकी कुंड तक निकाली गई यह शोभायात्रा देश के विभिन्न राज्यों की संस्कृति को प्रदर्शित कर रही थीं। सांस्कृतिक परिधानों से सुसज्जित यह लोक कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करते हुए दिखाई दिए। वैसे यह लोक कलाकार मेले में प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे।

आपदा से लड़ना सिखा रही एनडीआरएफ

बुंदेलखंड में आपदा कब आ जाए कहा नहीं जा सकता है। कभी बाढ़ तो कभी आग यहां के लिए हमेशा बड़ी आपदा रही है ऐसे में ग्रामोदय मेला में लगी Þराष्ट्रीय आपदा मोचन बल'(एनडीआरएफ) की जागरुकता प्रदर्शनी वरदान साबित हो सकती है। एनडीआरएफ के डिप्टी कमांडर नरेंद्र कुमार के नेतृत्व में इंस्पेक्टर धर्मेंद्र कुमार पांडेय, दिनेश कुमार, रोहित कुमार और मानवेंद्र कुमार अपने 30 सदस्यीय दल के साथ मेला में आए है। उन्होंने आपदा निवारण यंत्रों के साथ एक जागरुकता प्रदर्शनी लगाई है। जिसके माध्यम से लोगों को रसायन आपातकाल, सर्पदंश, बाढ़ और आग से बचाव के उपाय बता रहे है। डिप्टी कमांडर नरेंद्र कुमार का कहना है कि लोगों में यदि थोड़ी भी जागरुकता आ जाए तो बड़ी आपदाओं से भी बचा जा सकता है। जागरुकता के लिए ही वह लोग जगह-जगह प्रदर्शनी व कैंप लगाते है।

आज आएंगी मालिनी अवस्थी

ग्रामोदय मेले में शनिवार को देश के विख्यात लोक कलाकारों की प्रस्तुति का दिन होगा। जिसमें मालिनी अवस्थी का सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इसके अलावा 12 बजे से 02 बजे तक रंगोली, मेंहदी एवं कलश अलंकरण प्रतियोगिता का आयोजन किया जायेगा। जिसमें 10 वर्ष से अधिक उम्र के प्रतिभागी प्रतिभाग कर सकते हैं। प्रतियोगिता में रंगोली, मेंहदी एवं कलश अलंकरण हेतु आवश्यक रंग, मेंहदी एवं अन्य सामग्री स्वयं लानी होगी।

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