पंच शक्तियों का जागृत कर महिलाओं ने स्वाधीनता संग्राम दी आहुति

जागरण संवाददाता चित्रकूट प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात से ही भारत में विभिन्न महिला संगठनों की स्

By JagranEdited By: Publish:Thu, 16 Sep 2021 10:55 PM (IST) Updated:Thu, 16 Sep 2021 10:55 PM (IST)
पंच शक्तियों का जागृत कर महिलाओं ने स्वाधीनता संग्राम दी आहुति
पंच शक्तियों का जागृत कर महिलाओं ने स्वाधीनता संग्राम दी आहुति

जागरण संवाददाता, चित्रकूट : प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात से ही भारत में विभिन्न महिला संगठनों की स्थापना के माध्यम से नारी शक्ति का स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान निरंतर प्रभाव बढ़ता चला गया। ज्ञान, धर्म, कला, कौशल एवं साहित्य की पंच शक्तियों को जागृत कर स्वाधीनता संग्राम में महिलाओं ने अपने आप को आहूत किया। यह बात महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो नरेशचंद्र गौतम ने कहीं।

विश्वविद्यालय के कला संकाय ने आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत 'स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं का योगदान' विषय पर आनलाइन व्याख्यान किया। महात्मा गांधी काशी विश्वविद्यालय वाराणसी के शिक्षाविद प्रो नंदलाल ने कहा कि गांधी जी ने राष्ट्रीय आंदोलन को जन आंदोलन में बदला। जिससे कि गांव समाज में सामान्य से सामान्य महिलाओं की सहभागिता आंदोलन में हुई। नारी शक्ति का राजनीतिक आंदोलन में आसानी से प्रभाव बढ़ता गया जिससे मौजूदा समय में सहजता से स्वीकार किया गया। 19 वीं शताब्दी के प्रारंभ से आंदोलन ने गति पकड़ी , महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन, दांडी यात्रा, भारत छोड़ो आंदोलन आदि अनेक आंदोलनों में महिलाओं की प्रत्यक्ष भूमिका ने आंदोलन की गति को कुंद नहीं होने दिया। महिलाओं ने तात्कालिक परिस्थितियों में स्वदेशी व्रत का पालन, अहिसा वादी आंदोलन, चरखा चलाकर सूत कातने , श्रम आंदोलन से जुड़ कर ब्रिटिश सरकार के दमन में क्रांतिकारियों को अपना जन सहयोग प्रदान किया। जिससे राष्ट्रीय आंदोलन धर्म युद्ध बना।

मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विभागाध्यक्ष डा नीलम चौरे ने कहा कि मध्य काल के बाद पर्दा प्रथा, सती प्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियां स्त्री शक्ति को दमन करने के लिए भारतीय समाज में मौजूद थीं। अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति में रानी लक्ष्मीबाई ने ब्रिटिश सेना से लड़ने में नारी शक्ति को खड़ा किया। हिदी विभाग के डॉ ललित सिंह, डॉ रघुवंश बाजपेई ने कहा कि निसंदेह स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान रानी लक्ष्मी बाई, झलकारी बाई, सरोजिनी नायडू, लक्ष्मी सहगल, एनी बेसेंट आदि अनेकों अनेक महिला क्रांतिकारियों का सहयोग अपने शिखर पर था।

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