कुछ मत पूछिए साहब, बस ओडीएफ की बात करिए

गांवों को खुले में शौच मुक्त करने के अभियान ने जिला प्रशासन की नींद उड़ा दी है। ग्राम्य विकास, जिला पंचायत राज विभाग हो या अन्य विभागों के अफसर ओडीएफ को लेकर और कुछ सुनने को तैयार ही नहीं हैं। कार्यालय में कुर्सी संभालते ही शौचालय निर्माण की प्रगति में तल्लीन हो जा रहे। यदि किसी ने अन्य सवाल कर दिया तो दो टूक जवाब दे रहे इस समय बस ओडीएफ की बात करिए। वैसे दो अक्टूबर तक ओडीएफ घोषि

By JagranEdited By: Publish:Wed, 19 Sep 2018 05:26 PM (IST) Updated:Wed, 19 Sep 2018 05:26 PM (IST)
कुछ मत पूछिए साहब, बस ओडीएफ की बात करिए
कुछ मत पूछिए साहब, बस ओडीएफ की बात करिए

जागरण संवाददाता, चंदौली : गांवों को खुले में शौच मुक्त करने के अभियान ने जिला प्रशासन की नींद उड़ा दी है। ग्राम्य विकास, जिला पंचायत राज विभाग हो या अन्य विभागों के अफसर ओडीएफ के अलावा कुछ भी सुनने को तैयार ही नहीं हैं। कार्यालय में कुर्सी संभालते ही शौचालय निर्माण की प्रगति में तल्लीन हो जा रहे। यदि किसी ने दूसरा सवाल किया तो दो टूक जवाब दे रहे इस समय बस ओडीएफ की बात करिए। वैसे, दो अक्टूबर तक ओडीएफ घोषित करने में अब मात्र 12 दिन ही शेष हैं, जबकि लक्ष्य सात हजार से अधिक शौचालयों के निर्माण का है। यह तो विभागीय आंकड़ा है जमीनी हकीकत इसके बिल्कुल परे हैं।

स्वच्छ भारत मिशन के तहत दो अक्टूबर 2014 को गांवों को खुले में शौच मुक्त करने का अभियान चलाया गया। जनपद में बेस लाइन सर्वे सूची के अनुसार 1600 राजस्व गांवों में 3 लाख 21 हजार शौचालय निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया। चार वर्ष बीतने को है और अब तक मात्र 700 राजस्व गांव ही ओडीएफ को मार्क हो पाए हैं। जिला प्रशासन ने ओडीएफ की सफलता को जिले के अधिकारियों को नोडल अफसर बनाया है। प्रत्येक अधिकारी को आधा दर्जन गांव एलाट किए गए हैं ताकि शौचालय निर्माण की प्रगति को तेज किया जा सके। ऐसे में अफसर सुबह होते ही गांवों की ओर कूच कर जा रहे। यदि गांव में नहीं पहुंच पाए तो मोबाइल पर ही प्रगति लेने में व्यस्त हो जा रहे। इससे उनका खुद का विभागीय कार्य प्रभावित हो रहा और डांट भी सुननी पड़ रही लेकिन ओडीएफ उनका पीछा नहीं छोड़ रहा।

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