कब पूरे होंगे झोपड़ी वालों के सपने

गरीबी रेखा से जीवन यापन करने वालों को प्रधानमंत्री आवासीय ग्रामीण योजना से लाभ मिलने का इंतजार है। ब्लाक अधिकारियों ने सूची में नाम तो दर्ज कर लिया लेकिन लाभ अभी तक नहीं मिला है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 21 Nov 2020 11:10 PM (IST) Updated:Sat, 21 Nov 2020 11:10 PM (IST)
कब पूरे होंगे झोपड़ी वालों के सपने
कब पूरे होंगे झोपड़ी वालों के सपने

जेएनएन, बुलंदशहर। गरीबी रेखा से जीवन यापन करने वालों को प्रधानमंत्री आवासीय ग्रामीण योजना से लाभ मिलने का इंतजार है। ब्लाक अधिकारियों ने सूची में नाम तो दर्ज कर लिया, लेकिन लाभ अभी तक नहीं मिला है।

प्रधानमंत्री आवासीय ग्रामीण योजना के अंतर्गत तीन वर्ष पूर्व 2011 की जनगणना और जातिगत आंकड़ों के अनुसार एक हजार 112 आवेदनों को रजिस्टर्ड किया गया था। ग्राम्य विकास विभाग ने शत-प्रतिशत इनके मकान बनवाए और जियो टेगिग करके ब्योरा शासन को भेज दिया था। दूसरे चरण में तीन हजार 558 ऐसे परिवारों को चयनित किया गया, जिनके पास पक्के मकान नहीं हैं और निर्माण के लिए जगह है। इनकी टेगिग कराई गई तो एक हजार 101 अपात्र निकले। दो हजार 457 का डाटा शासन को भेज दिया गया था। शासन से बुलंदशहर ग्रामीण क्षेत्र के लिए मात्र 1028 को स्वीकृति दी गई है। हालांकि अभी इसका पैसा नहीं भेजा गया है। केस-1

भईपुरा निवासी राकेश ने बताया कि डेढ वर्ष पूर्व ब्लाक से आए अधिकारी आधार कार्ड, बैंक और मोबाइल नंबर लेकर गए थे, लेकिन अभी तक उन्हें आवासीय योजना का लाभ नहीं मिला है। केस-2

भटौना निवासी हनीफ का कहना है कि गांव में दो मकान प्रधानमंत्री आवासीय योजना से बने हैं लेकिन उन्हें इस योजना का लाभ क्यों नहीं दिया जा रहा। इसका नहीं पता। हालांकि उन्हें प्रधानमंत्री पर पूर्ण भरोसा है कि आवास जरूर बनाएंगे।

ये है मुख्यमंत्री आवास का हाल

मुख्यमंत्री आवासीय ग्रामीण योजना के अंतर्गत 14 आवास जनपद में बनवाए गए हैं। इनमें से दो कुष्ठ रोगियों को मुहैया कराए गए हैं। हालांकि फिलहाल तीन हजार 480 आवेदकों के फार्म विचाराधीन हैं। इन्होंने कहा..

2011 की मतगणना के आधार पर प्रथम चरण में एक हजार 112 आवास मुहैया कराए गए हैं। दूसरे चरण में दो हजार 457 की सूची भेज दी गई है, इन्हें जल्द ही योजना का लाभ मिलेगा। इसके अलावा मुख्यमंत्री आवासीय योजना में 14 आवासों का निर्माण कराया गया है और तीन हजार 400 की सूची भेजी गई है।

-सर्वेश चंद्र, परियोजना निदेशक

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