महामारी ने रोक दी विदेश में शिक्षा पाने की राह

कोरोना वायरस ने देश और दुनिया के हर को हिलाकर रख दिया है। महामारी का असर युवाओं की शिक्षा पर भी पड़ रहा है। हर साल कितने ही युवा कॅरियर बनाने के लिए विदेश में शिक्षा लेने जाते हैं लेकिन इस साल वह इसका इरादा त्याग दिया है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 04 Jun 2020 10:39 PM (IST) Updated:Thu, 04 Jun 2020 10:39 PM (IST)
महामारी ने रोक दी विदेश में शिक्षा पाने की राह
महामारी ने रोक दी विदेश में शिक्षा पाने की राह

बुलंदशहर, जेएनएन। कोरोना वायरस ने देश और दुनिया के हर को हिलाकर रख दिया है। महामारी का असर युवाओं की शिक्षा पर भी पड़ रहा है। हर साल कितने ही युवा कॅरियर बनाने के लिए विदेश में शिक्षा लेने जाते हैं, लेकिन इस साल वह इसका इरादा त्याग दिया है। हर साल जिले से लगभग सौ युवा शिक्षा के लिए बाहर जाते थे, लेकिन अब युवाओं के मन से विदेश जाकर शिक्षा ग्रहण करने से पीछे हट रहे हैं।

हर साल जून और जुलाई में विदेश में जाकर शिक्षा लेने वाले युवाओं की हलचल शुरू हो जाती है। कुछ पासपोर्ट के लिए आवेदन करते हैं और कुछ वीजा के लिए। मेडिकल से लेकर इंजीनियरिग, एलएलबी और चार्टड अकाउंटेंट समेत कई कोर्स करने के लिए युवा अमेरिका, न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड समेत कई देशों में जाते हैं। इस बार भी जनवरी से युवाओं ने विदेश में शिक्षा का सपना देखना शुरू किया, लेकिन कोरोना महामारी के चलते ऐसे हालात बने कि अब वह इस बारे में सोचना ही छोड़ दिए। सबसे बड़ी मुश्किल उन युवाओं के सामने है, जिनके पहले से विदेश के इंस्टीट्यूट में पढ़ाई चल रही है। छह से अधिक छात्र चीन से मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं, जोकि फरवरी में ही घर लौट आए थे। अब उनकी पढ़ाई अधर में लटक जाएगी। युवाओं के साथ ही उनके अभिभावक भी अब बच्चों को भेजने के लिए तैयार नहीं हैं। देश में करेंगे पढ़ाई

मुझे चार्टड अकाउंटेंट बनने के लिए अमेरिका जाना था, पिछले कई माह से इसकी तैयारी चल रही थी। पासपोर्ट भी बनवा लिया था। बस वीजा के लिए आवेदन करना था। अब विचार त्याग दिया है। पिता नागेंद्र सिंह ने भी विदेश में पढ़ाई करने के लिए मना कर दिया है। अब देश में रहकर ही सीए करना है।

-काव्या सिंह, छात्रा, गांव मचकौली वकालत की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड जाना था। इसके लिए वर्षो पहले सपना देखा था। पिछले एक साल से तैयारी चल रही थी। पासपोर्ट बनवा चुके। पिता डा. विजेंद्र यादव की भी इच्छा थी कि वह इंग्लैंड से एलएलबी करे, लेकिन कोरोना ने मेरा सपना तोड़ दिया।

-शगुन वी सिंह, छात्रा, निकट खालसा स्कूल

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