मछली पालन से संवर रही तालाबों की हालत

तहसील धामपुर क्षेत्र के विभिन्न गांवों में कई तालाब बदहाल अवस्था में पहुंच चुके हैं। वहीं कई पर अवैध कब्जे और अतिक्रमण से उनका अस्तित्व ही समाप्त होने की कगार पर है लेकिन कुछ स्थान ऐसे भी हैं जहां तालाबों की दुर्दशा में सुधार के लिए उम्मीद की किरण देखने को मिल रही है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 20 Apr 2021 10:48 AM (IST) Updated:Tue, 20 Apr 2021 10:48 AM (IST)
मछली पालन से संवर रही तालाबों की हालत
मछली पालन से संवर रही तालाबों की हालत

जेएनएन, बिजनौर। तहसील धामपुर क्षेत्र के विभिन्न गांवों में कई तालाब बदहाल अवस्था में पहुंच चुके हैं। वहीं, कई पर अवैध कब्जे और अतिक्रमण से उनका अस्तित्व ही समाप्त होने की कगार पर है, लेकिन कुछ स्थान ऐसे भी हैं, जहां तालाबों की दुर्दशा में सुधार के लिए उम्मीद की किरण देखने को मिल रही है।

स्थानीय प्रशासन द्वारा कुछ तालाबों में मछली पालन के पट्टे दिए जाते हैं, जिससे बदहाल अवस्था में पड़े तालाबों का भी रखरखाव और देखभाल आसान हो गयी है। प्रशासन द्वारा मछली पालन को बढ़ावा देते हुए सभी बदहाल तालाबों की दशा में सुधार के लिए प्रयास किया जा सकता है।

धामपुर समेत तहसील के अफजलगढ़, रेहड़, स्योहारा व नींदड़ू आदि स्थानों पर कई तालाबों का अस्तित्व समाप्त होने की कगार पर है। कुछ साल पहले तैयार किए गए माडल तालाब और सुंदरीकरण कार्य के बावजूद यह तालाब आज भी बदहाल अवस्था में पहुंच चुके हैं। यहां आसपास के ग्रामीणों ने कूड़ा-कचरा व सामान डालकर कब्जा कर लिया है। कई तालाबों पर अवैध कब्जा कर मकान तक बन गए हैं। ऐसे में धामपुर के गांव दित्तनपुर में एक दूसरी तस्वीर भी नजर आती है। यहां करीब एक बीघा से अधिक क्षेत्र में मौजूद तालाब में मछली पालन होता है। जिससे न केवल यह तालाब मछली पालकों के लिए रोजगार का साधन बना हुआ है, वहीं, बदहाल तालाबों के मुकाबले इसकी हालत बहुत अच्छी है।

मछली पालन को बढ़ावा देने की आवश्यकता:

गांव दित्तनपुर में मौजूद उक्त तालाब के चारों ओर पक्की बाउंड्री बनी हुई है। यहां मछली पालन किया जाता है, जिससे मछली पालक इस तालाब की पूरी देखभाल करते हैं। यहां के पानी में कूड़ा-करकट भी नहीं है। हालांकि कुछ ग्रामीण तालाब के किनारे कूड़ा डाल देते हैं, लेकिन पानी में गंदगी नहीं है। ग्रामीण अब्दुल, सलीम अहमद, जितेंद्र कुमार व सुधीर चौहान आदि ने बताया कि उक्त तालाब से आसपास के ग्रामीणों व पशुपालकों को बहुत लाभ भी मिलता है। ग्रामीणों का कहना है कि मछली पालन का पट्टा देने से तालाबों की देखभाल पट्टा लेने वाले ही करते हैं, जिससे उनका अस्तित्व बचाया जा सकता है। स्थानीय प्रशासन को इस ओर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। एडीओ पंचायत अनिल कुमार ने बताया कि तहसील प्रशासन द्वारा पट्टे जारी किए जाते हैं, तालाबों को बचाने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।

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