सोशल इंजीनियरिग का फार्मूला, ठाकुरों को ज्यादा तरजीह
भाजपा ने टिकट वितरण में सोशल इंजीनियरिग अपनाने की कोशिश की है लेकिन वैश्य समुदाय को इस बार जिले की किसी भी सीट पर मौका नहीं मिल सका।
बिजनौर, जागरण टीम। भाजपा ने टिकट वितरण में सोशल इंजीनियरिग अपनाने की कोशिश की है, लेकिन वैश्य समुदाय को इस बार जिले की किसी भी सीट पर मौका नहीं मिल सका।
किसानों की नाराजगी का असर कहें या कुछ और। इस बार दो जाटों को पार्टी से टिकट मिला है। पिछली बार सिर्फ बिजनौर सीट से ही जाट प्रत्याशी मैदान में थीं। तीन सीट पर ठाकुर, दो पर अनुसूचित जाति और एक पर सैनी समाज के प्रत्याशी को मौका दिया गया है। जनपद में पिछली बार की तरह इस बार भी दो महिला चुनाव मैदान में उतारी गई हैं।
भाजपा ने बिजनौर सदर सीट से विधायक सुचि चौधरी पर ही भरोसा किया है। भारतेंद्र सिंह को नजीबाबाद सीट से प्रत्याशी बनाया है। इस सीट पर भाजपा ने पिछले दो विधानसभा चुनाव में राजीव अग्रवाल को प्रत्याशी बनाया था। इस बार यहां से टिकट बदला गया है। जिले की कई विधानसभा सीटों पर सैनी वोटरों की अच्छी तादाद है। सैनी समाज को अपने साथ जोड़े रखने के लिए चांदपुर सीट से विधायक कमलेश सैनी पर ही विश्वास किया है। सुरक्षित नहटौर सीट से विधायक ओमकुमार एवं नगीना सुरक्षित सीट से इस बार डा. यशवंत सिंह को चुनाव मैदान में उतारा गया है।
नूरपुर, धामपुर और बढ़ापुर विधानसभा सीट ठाकुर बहुल मानी जाती हैं। भाजपा ने नूरपुर सीट से नए चेहरे सीपी सिंह को प्रत्याशी बनाया है। इस सीट पर सीपी सिंह के भाई लोकेंद्र सिंह चौहान दो बार चुने गए थे। उनकी मृत्यु के बाद हुए उप चुनाव में उनकी पत्नी हार गई थीं। फिलहाल यह सीट सपा के कब्जे में है।
धामपुर सीट से पार्टी ने फिर विधायक अशोक राणा पर ही दांव खेला है। उक्त सीट पर उनके सामने भी ठाकुर मूलचंद चौहान प्रत्याशी रहे थे। इस बार भी सपा से मूलचंद चौहान को टिकट मिलने की संभावना है। बढ़ापुर से भी ठाकुर समाज के विधायक सुशांत सिंह को मैदान में उतारा है।