मालन नदी तट पर नहीं हुआ काम तो फिर मचेगा हाहाकार

नजीबाबाद (बिजनौर) अप्रैल का एक पखवाड़ा बीतने को है। जून की शुरुआत को महज डेढ़ महीने से थोड़ा ज्यादा समय बचा है। दरअसल जून के दस्तक देते ही मालन नदी तट पर बसे गांव वालों की धड़कने तेज होने लगती हैं। वो इसलिए कि वर्षाकाल में मालन नदी में उफान आने से शाहपुर कछियाना क्षेत्र में मिट्टी कटान होने से आबादी क्षेत्र को खासा नुकसान झेलना पड़ता है।मिट्टी कटान होने से आबादी क्षेत्र को खासा नुकसान झेलना पड़ता है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 10 Apr 2019 10:39 PM (IST) Updated:Wed, 10 Apr 2019 10:39 PM (IST)
मालन नदी तट पर नहीं हुआ काम तो फिर मचेगा हाहाकार
मालन नदी तट पर नहीं हुआ काम तो फिर मचेगा हाहाकार

नजीबाबाद (बिजनौर) :अप्रैल का एक पखवाड़ा बीतने को है। जून की शुरुआत को महज डेढ़ महीने से थोड़ा ज्यादा समय बचा है। दरअसल जून के दस्तक देते ही मालन नदी तट पर बसे गांव वालों की धड़कने तेज होने लगती हैं। वो इसलिए कि वर्षाकाल में मालन नदी में उफान आने से शाहपुर, कछियाना क्षेत्र में मिट्टी कटान होने से आबादी क्षेत्र को खासा नुकसान झेलना पड़ता है।

गांव शाहपुर और कछियाना बस्ती क्षेत्र में कटान को रोकने के लिए पिछले काफी समय से पिचिग की मांग की जा रही है, लेकिन यह काम जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों के दौरे होने तक ही सीमित होकर रह जाता है। इस बार मालन नदी शाहपुर की आबादी के और भी नजदीक हो गई है। वर्षाकाल में नदी में उफान आया, तो गांववासियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।

हर साल बरसात में मालन में पानी के तेज बाहाव से ग्राम शाहपुर व कछियाना बसती के कटान को लेकर ग्रामीण परेशान हो जाते हैं। अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर काटते हैं, लेकिन हर बार उन्हें मायूसी ही होती है। पिछले कुछ वर्षों में दर्जनों किसानों के खेत कटकर मालन नदी मे समा चुके हैं। ऐसे किसानों के सामने आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है। शाहपुर के ग्रामीणों मोतीलाल, धनीराम सैनी का कहना है कि अब तक तो नदी खेतों को नुकसान पहुंचा रही थी, लेकिन बीते चार-पांच वर्षों में नदी ने गांव शाहपुर की ओर कटान किया है। जिससे नदी का रुख गांव की ओर हो गया है। नदी से गांव में बने पक्के मकान चंद कदम के फासले पर रह गए हैं।

ग्रामीणों महेंद्र सिंह, चंद्रो देवी का कहना है कि गतवर्ष बरसात के बाद अधिकारियों ने कटान को रोकने के लिए पिचिग कराने के लिए पैमाइश शुरू कराई थी, लेकिन छह महीने बीत जाने के बाद भी मौके पर कोई बचाव कार्य नहीं किया गया। जिससे क्षेत्रवासियों की सांसें अटकी हैं। ग्रामीणों ने नदी की धारा पर घुमावदार क्षेत्रों में कटान रोकने के लिए पिचिग कार्य शुरू कराने की मांग की।

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