देश सेवा के जज्बे ने प्रेरणा को बनाया कैप्टन

बिजनौर जेएनएन। अपने संघर्ष और जीवन में आगे बढ़ने की लगन से कुछ युवतियां सभी चुनौतियों से जू

By JagranEdited By: Publish:Mon, 19 Oct 2020 10:39 PM (IST) Updated:Mon, 19 Oct 2020 10:39 PM (IST)
देश सेवा के जज्बे ने प्रेरणा को बनाया कैप्टन
देश सेवा के जज्बे ने प्रेरणा को बनाया कैप्टन

बिजनौर, जेएनएन। अपने संघर्ष और जीवन में आगे बढ़ने की लगन से कुछ युवतियां सभी चुनौतियों से जूझते हुए सफलता के शिखर पर पहुंचती हैं। धामपुर निवासी प्रेरणा भारद्वाज इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। अपनी मेहनत के बल पर आज धामपुर जैसे छोटे शहर से शहर से निकल कर प्रेरणा भारतीय सेना की मिलिट्री नर्सिंग सर्विस (एमएनएस) में कैप्टन के पद पर कार्यरत हैं। बचपन से ही उनमें मौजूद देश सेवा के जज्बे ने उन्हें कैप्टन बनने की राह में अग्रसर किया। आज प्रेरणा भारद्वाज धामपुर की युवतियों के लिए प्रेरणा बनी हुई हैं।

भारतीय सेना की मिलिट्री नर्सिंग सर्विस (एमएनएस) में प्रेरणा वर्तमान में कैप्टन के पद पर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित आर्मी कमान अस्पताल में तैनात हैं। इससे पहले वे गुजरात के भुज में तैनात रही हैं। वहीं गुजरात सहित कई अन्य सीमावर्ती स्थानों पर रहकर भी उन्होंने देश सेवा की है। धामपुर जैसे छोटे से शहर से निकलकर कैप्टन बनने तक का सफर स्थानीय युवतियों के लिए आदर्श हैं। आज भी जब प्रेरणा धामपुर आती हैं तो उनके मिलने कई छात्राएं आती हैं और आगे बढ़ने की प्रेरणा लेती हैं।

अंग्रेजी के डर पर जीत हासिल की :

हिदी माध्यम से पढ़ाई करने वाली प्रेरणा ने डाक्टर पिता आर.एस. भारद्वाज और शिक्षिका माता नीलम भारद्वाज के मार्गदर्शन में धामपुर में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। सेना में लिखित व साक्षात्कार के लिए अंग्रेजी आवश्यक होने पर अंग्रेजी में कमजोर प्रेरणा को अंग्रेजी से डर लगता था। उन्होंने कड़ी मेहनत की और नगर स्थित माइंड पावर संस्थान के शिक्षक अजय शर्मा के जरिए अंग्रेजी के डर पर जीत हासिल की। जिसके बाद भारतीय सेना की ओर रुख किया। प्रेरणा बताती हैं कि वर्ष 2010 में भारतीय सेना में चार वर्ष की ट्रेनिग के लिए चयन हुआ और पहली पोस्टिग श्रीनगर में मिली।

आतंकवादी हमलों के बीच दी सेवाएं :

प्रेरणा बताती हैं कि पहली पोस्टिग के दौरान श्रीनगर में घायल जवानों की सेवा के दौरान उन्होंने आतंकवादी हमले बहुत करीब से देखे। आतंकी हमलों में गंभीर घायलों और शहीद जवानों को उन्होंने करीब से देखा है। पत्थरबाजों द्वारा कई बार उनकी नर्सिंग टीम पर भी पथराव हुआ, लेकिन इन सब घटनाओं ने प्रेरणा के जज्बे और हौसले को कभी झुकने नहीं दिया। उनके पति कैप्टन हरीश कौशिक भी भुज में ही तैनात हैं।

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