जनपद में 37 हजार बच्चे कुपोषित

बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग और स्वास्थ्य विभाग की ओर तमाम योजनाएं भले ही संचालित की जा रही हों लेकिन कुपोषण पर अंकुश नहीं लगा पा रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 09 Jun 2019 09:33 PM (IST) Updated:Mon, 10 Jun 2019 06:21 AM (IST)
जनपद में 37 हजार बच्चे कुपोषित
जनपद में 37 हजार बच्चे कुपोषित

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग और स्वास्थ्य विभाग की ओर तमाम योजनाएं भले ही संचालित की जा रही हों लेकिन कुपोषण पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। जिले में 37 हजार 55 बच्चे कुपोषण की जंग से जूझ रहे हैं। इसमें 12,451 बच्चे अति कुपोषित हैं, जिन्हें लाल श्रेणी में रखा गया है। इनके स्वास्थ्य सुविधा के लिए जिला अस्पताल में बनाया गया पुनर्वास केंद्र प्रशासनिक तैयारी की पोल खोल रही है।

बच्चों और उनकी मां की स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर बाल विकास परियोजना में जहां प्रत्येक वर्ष पोषाहार के नाम पर करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा दिया जाता है तो वहीं स्वास्थ्य विभाग में समय-समय पर आयरन गोली, टीकाकरण का अभियान चलाया जाता है। बावजूद इसके जिले में खून से जूझ रही महिला और कुपोषण के शिकार हो रहे बच्चों की संख्या में कमी नहीं आ रही है। बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो जनपद में शून्य से पांच वर्ष के बच्चों की कुल संख्या 1,31,715 है। इनके सापेक्ष चिह्नित 37 हजार 55 बच्चे कुपोषित और 12,451 बच्चे अति कुपोषित की श्रेणी में हैं।

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मुंह चिढ़ा रहा पुनर्वास केंद्र

अति कुपोषित बच्चों के देखभाल करने के लिए जिला अस्पताल में कुपोषण पुनर्वास केंद्र खोला गया है। लाल श्रेणी में मिले बच्चों को पुनर्वास केंद्र में भेजने के लिए रेफर किया जाता है। चौदह दिन तक रखा जाता है। इसके बाद भी उसके वजन में सुधार नहीं आता है तो उसे अन्यत्र के लिए रेफर कर दिया जाता है। पुनर्वास केंद्र महज स्वांग बन कर रह गया है।

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अधिकारी भी नहीं रोक पाए कुपोषण

शासन के निर्देश पर जिलाधिकारी सहित अन्य 55 जिला स्तरीय अधिकारियों के कुपोषण रोकने के लिए जिम्मेदारी सौंपी गई थी। जिलाधिकारी के गोद लिए गांव कुपोषण मुक्त घोषित किया जा चुका है। इसके अलावा अन्य अधिकारियों के गांव की स्थिति में अभी कोई बदलाव होता नहीं दिख रहा है।

कुपोषण की स्थिति

वित्तीय वर्ष कुपोषित अति कुपोषित

2015-16 27,440 7000

2016-17 31615 9067

2017-18 37,055 12,451

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